स्वस्थ परिवारहेतु मुख्य बातें
स्वस्थ परिवारहेतु मुख्य बातें
महिलाओं और बच्चों दोनो के स्वास्थ्य में दो बच्चों के जन्म में कम से कम दो वर्ष के अंतर, 18 वर्ष की आयु से पहले गर्भ धारण न करके तथा कुल तीन अथवा कम गर्भधारण के द्वारा महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। बच्चों के पालन पोषण हेतु कुछ प्रमुख बातें निम्नवत है:
- गर्भधारण करने के दौरान जोखिम से बचने के लिए, सभी गर्भवती महिलाओं के प्रसूतिपूर्व देखभाल हेतु स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पास जाना चाहिए और सभी प्रसव प्रशिक्षित दाई द्वारा सहायता प्राप्त होने चाहिए।
- शिशु के जीवन के आरंभिक महीनों में मां का दूध ही सबसे उत्तम खाद्य और पेय आहार है। जब शिशु 4 से 6 माह के हो जाते हैं तब उन्हें मां के दूध के अतिरिक्त अन्य आहार की भी आवश्यकता होती है।
- तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों की विशेष खानपान संबंधी आवश्यकताएं होती है। उन्हें दिन में 5 से 6 बार खाना चाहिए। उनके आहार को और पोषक बनाने के लिए उनके खाने में मसली हुई सब्जियां तथा वसा अथवा तेल भी दिया जाना चाहिए।
- अतिसार से बच्चे के शरीर से काफी अधिक तरल पदार्थ निकल जाने के कारण उसकी मृत्यु भी हो सकती है। अत: बच्चे में जितनी बार भी दस्त के द्वारा शरीर से तरल पदार्थ की कमी होती है उसकी प्रतिपूर्ति बच्चे को अत्याधिक मात्रा में सही तरल पदार्थ जैसे मां का दूध, घर पर बने तरल पदार्थ जैसे दाल का पानी, चावल का पानी, बटर मिल्क अथवा ओरल रिहाइड्रेशन सस्पेंशन (ओआरएस) देकर की जानी चाहिए।
- टीकाकरण कई बीमारियों से बचाता है जिनके कारण कम विकास, निशक्तता और मृत्यु हो सकती है। समग्र टीकाकरण बच्चे के पहले वर्ष के दौरान पूरा करा लिया जाना चाहिए और डेढ़ साल पर बूस्टर डोज दी जानी चाहिए।
- अधिकांश सर्दी खांसी स्वत: ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि बच्चे की खांसी में सांस सामान्य से तेज चल रही हो तो बच्चा गंभीर रूप से बीमार हो सकता है और तब यह अनिवार्य है कि तत्काल स्वास्थ्य केन्द्र में जाया जाए। खांसी से ग्रस्त बच्चे को अत्यधिक मात्रा में तरल आहार और पेय देना चाहिए।
- कई बीमारियां कीटाणुओं के मुंह में जाने से होती है। इनकी रोकथाम उचित शौचालय के उपयोग द्वारा, शौच जाने के पश्चात और भोजन से पहले साबुन और पानी से हाथ अच्छे से धोकर की जा सकती है। खाने और पानी को स्वच्छ रखकर और पीने के पानी को उबालकर, यदि इसकी आपूर्ति सुरक्षित पाइपलाइन से नहीं की जा रही है, कई प्रकार की बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
- अभिभावकों को बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और साथ ही वह जिन खिलौनों से खेलता है उनकी प्रणाली के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए।
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