Wednesday, 22 August 2012

दवा समझकर ले सकते हैं रेड वाइन


दवा समझकर ले सकते हैं रेड वाइन

प्रतिदिन एक-दो गिलास से ज्यादा नहीं, प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम में मददगार
बढ़ती उम्र में पीना अगर मजबूरी है तो रेड वाइन पीजिए। लेकिन नशा नहीं, दवा समझकर। वह भी एक-दो ग्लास से ज्यादा नहीं। अमेरिका में प्रकाशित एक अध्ययन के नतीजे बताते हैं-रेड वाइन प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम में मददगार है।

बर्मिघम की अलबामा यूनिवर्सिटी (यूएबी) के शोधकर्ताओं ने रेड वाइन में पाए जाने वाले कंपाउंड यानी यौगिक को चूहों को लगातार खिलाया। यह यौगिक रेसवेराट्राल के नाम से जाना जाता है। इन चूहों में जानलेवा बीमारी प्रोस्टेट कैंसर की संभावना 87 फीसदी कम पाई गई। अगर इनमें कैंसर पाया भी गया तो ट्यूमर अपेक्षाकृत कम खतरनाक थे। इन चूहों में रेसवेराट्राल न दिए जाने वाले चूहों के मुकाबले ट्यूमर के आकार में वृद्धि रुकने की संभावना 47 फीसदी ज्यादा देखी गई। टयूमर बढ़े भी तो गति काफी धीमी रही।
यह अध्ययन यूएबी में फार्माकोलाजी और टाक्सिकोलाजी डिपार्टमेंट के कोरल लामार्टिनियर के नेतृत्व में किया गया है। लामार्टिनियर बताते हैं-रेड वाइन के जरिए रेसवेराट्राल लेने से शरीर में कैंसर रोधी तत्वों में व्यापक वृद्धि होती है। साथ ही हृदय के लिए भी फायदेमंद है। लामार्टिनियर कहते हैं-मैं हर शाम एक ग्लास रेड वाइन लेता हूं, क्योंकि प्रोस्टेट कैंसर को लेकर चिंतित हूं। इस बीमारी की चपेट में मेरे परिवार के लोग आते रहे हैं।

अध्ययन में कुछ दिक्कतों की ओर भी इशारा किया गया है, मसलन-प्रोस्टेट कैंसर के मामले में चूहों को जितनी मात्रा में प्रतिदिन रेसवेराट्राल दिया गया, उतना वह एक बोतल रेड वाइन में पाया जाता है। पिछले साल यूएबी में किए गए एक अध्ययन के दौरान यह बात भी सामने आई थी कि रेसवेराट्राल स्तन कैंसर की रोकथाम में भी कारगर है।

प्रोस्टेट कैंसर


पौरुष ग्रंथि के उतकों (टिश्यू) में पनपने वाला यह कैंसर प्राय: उम्रदराज लोगों में पाया जाता है। सामान्य तौर पर पौरुष ग्रंथि अखरोट जैसी होती है, लेकिन कैंसर की चपेट में आने के बाद इसके आकार में वृद्धि होने लगती है और पेशाब का प्रवाह रुकने लगता है।
By: Bunty Chandrasen@9770119294

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