गुर्दे की पथरी के कुछ प्राकृतिक उपाय
लक्षण
पेशाब में जलन, मूत्र विसर्जन के समय अक्सर पीड़ा का एहसास होना , चक्कर आना, भूख मिटना, पेशाब में बदबू, पेशाब में खून के अंश का पाया जाना इत्यादि गुर्दे की पथरी होने के कुछ आम लक्षण हैं। जिन महिलाएं को मासिक धर्म के दौरान पेट (उदर) के निचले भाग में अक्सर दर्द की शिकायत रहती हो उन्हें भी अपनी डाक्टरी जांच अवश्य करवानी चाहिए क्योंकि यह भी गुर्दे की पथरी होने का संकेत हो सकता है।
गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए अक्सर लोग कोई ऐसा समाधान चाहते हैं जिसका कोई कुप्रभाव न हो। ऐसा ही एक उपाय है प्राकृतिक उपाय जो गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत ही कारगर साबित होता है साथ हीं साथ शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता।
गुर्दे की पथरी दूर करने के कुछ प्राकृतिक उपाय
अनार के बीज और हार्स ग्राम: अनार मीठे हों या न हों, उनके बीज गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं अहम भूमिका निभाते हैं। एक चमच्च अनार के बीज को पीस कर उसका पेस्ट बना लें और फिर दो चमच्च होर्से ग्राम तथा अनार के बीज के पेस्ट को एक कप पानी में एक साथ मिलाकर सूप बना लें। ठंढा होने पर इस सूप का सेवन करें। कुछ दिन लगातार इस सूप का सेवन करने से आपको गुर्दे की पथरी की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल जायेगा।
निम्बू का रस एवं जैतून का तेल (ओलिव आयल): जैतून का तेल (ओलिव आयल) एवं निम्बू का रस मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लिटर निम्बू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल (ओलिव आयल) मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगा साथ हीं साथ पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।
किडनी बिन्स : किडनी की पथरी यानि गुर्दे की पथरी को दूर करने का किडनी बिन्स बहुत हीं प्रभावकारी प्राकृतिक उपचार है। किडनी बिन्स यानि सेम की फली से गुर्दे की पथरी के उपचार हेतु आप औषधी तौयार कर सकते हैं। सबसे पहले आप किडनी बिन्स यानि सेम की फली सेम से अगल कर लें और उन्हें पतले दुकड़ों में तरास/काट लें। अब इन टुकड़ों का 50-60 ग्राम लें और लगभग 4 लिटर स्वच्छ/शुद्ध पानी में तकरीबन 6 घंटों तक धीमी आंच पर उबालें। तत्पश्चात रस को साफ कपड़े या छलनी से छान लें और तकरीबन ६ घंटे तक ठंढा होने दें। गुर्दे की पथरी के मरीजों को सलाह दी जाती है कि इलाज के पहले दिन वे इसके रस को हर दो घंटे पर पीते रहें। अगले दिनों में भी या अगले हफ्ते में भी जितनी ज्यादा बार इसे पियेंगे उतना हीं ज्यादा फायदा मिलेगा। तैयार किये जाने के बाद इस रस का असर 24 घंटों के बाद कम होने लगता है इसलिए हमेशा ताजे रस का सेवन करना हीं फायदेमंद होता है।
कार्बनिक अजवाइन: जिन लोगों को गुर्दे की पथरी होने का खतरा हो उनके लिए कार्बनिक अजवाइन का नियमित रूप से सेवन करना अनिवार्य है। कार्बनिक अजवाइन के बीज एवं सब्जी, दोनों हीं गुर्दे के लिए टॉनिक का काम करते हैं। ये आपको गुर्दे की पथरी से बचाते हैं और यदि आप इसके शिकार हो गए हैं तो उसे दूर करने में काफी मददगार साबित होते हैं। इसे मसाले के रूप में उपयोग किया जा सकता है अथवा पानी में उबाल कर चाय की तरह पिया जा सकता है।
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