Wednesday, 15 November 2017

पुरुष नसबंदी (NSVT) के फायदे

जानिये पुरुष नसबंदी क्या होती है और पुरुष नसबंदी के तरीकों के बारे में, क्या पुरुष नसबंदी के नुकसान भी है और पुरुष नसबंदी कितनी कारगर है. What is Male Vasectomy and how it is performed. How effective Male Vasectomy is in contraception?पुरुष नसबंदी 
Contents
  • 1 पुरुष नसबंदी क्या है?
  • 2 क्या पुरुष नसबंदी तुरंत प्रभावी हो जाता है?
  • 3 पुरुष और महिला नसबंदी के बीच अंतर क्या है?
  • 4 पुरुष नसबंदी कितना लोकप्रिय है?
  • 5 पुरुष नसबंदी के क्या जोखिम या जटिलताएं हैं?
  • 6 पुरुष नसबंदी लम्बे समय तक रह सकने वाले साइड इफेक्ट्स
  • 7 क्या मैं नसबंदी करा लूं?
नसबंदी, गर्भनिरोधन का स्थायी तरीका है। यह महिला और पुरुष दोनों के लिए उपलब्ध है। महिला नसबंदी में दोनों फालोपियन ट्यूब को काट दिया जाता है। पुरुष नसबंदी में भी नसों या ट्यूब को ही काटा जाता है जो की स्पर्म्स को वीर्य में मिलाती है। सफल नसबंदी के बाद बच्चा नहीं ठहरता। पुरुष नसबंदी के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं होना होता। पुरुष उसी दिन घर जा सकता है। इसे करने में करीब 20 मिनट का समय लगता है।
यह स्थायी बंध्याकरण या बाँझ करने का तरीका है। इसलिए सभी तरह से सोच समझ कर, इसके साइड-इफेक्ट्स, लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स, रिस्क और जटिलताओं को जानने के बाद ही नसबंदी का फैसला किया जाना चाहिए, इसके बारे में अपने पार्टनर से भी बात करनी चाहिए। जब आप पूरी तरह से आश्वस्त हों तभी इसे कराने का निर्णय लें। इसे कराने का मकसद बिना टेंशन सेक्स करना है लेकिन बहुत से पुरुष इसे करवा लेने के बाद डिप्रेस हो जाते हैं, प्रजनन अंग के बारे में सोचने लगते हैं, तनाव में आ जाते हैं, दर्द महसूस करते हैं और अपने को बाँझ सोचने के कारण सेक्स के प्रति कम रूचि | लो लिबिडो, का शिकार हो जाते हैं। इसलिए इसे कराने या न कराने के लाभ-हानि को ध्यान में रखें। किसी के कहने से ही इसे न करा लें।

पुरुष नसबंदी क्या है?

What is a vasectomy?
पुरुष नसबंदी पुरुषों के लिए स्थायी बंध्याकरण का एक रूप है। इस तरीके के द्वारा वास डेफरेंस ट्यूबों को काट कर सील कर दिया जाता है।
यह पुरुषों के लिए स्थाई गर्भ\निरोधन का सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।
वास डेफरेंस Vas Deferens या डक्टस डेफरेन्स ductus deferens पुरुष प्रजनन अंगों में पायी जाने वाली यह दो ट्यूब्स हैं जो की स्पर्म्स | शुक्राणु का ट्रांसपोर्ट करती हैं। यह एपीडाइडिमिस से स्पर्म्स को एजाकुलेटरी डक्ट तक ले जाती है। यह करीब 30 सेंटीमीटर लम्बी और 3-5 मिलीमीटर व्यास की होती है। एजाकुलेशन या वीर्य के निकलते समय, वासडिफरेंस सुकड़ती हैं और शुक्राणुओं को आगे की ओर धकेलती हैं।
पुरुषों में वास डेफरेंस को काट कर परमानेंट बंध्याकरण कर देते हैं। इसके क्त जाने पर सीमन तो बनता रहता हैं लेकिन उसमें शुक्राणु नहीं होते जिससे गर्भाधान नहीं होता। यह कंट्रासेप्शन का स्थायो तरीका है।
पुरुष नसबंदी के लिए जनरल एनेस्थीसिया नहीं दिया जाता बल्कि केवल लोकल एनेस्थीसिया प्रयोग में लाया जाता है।

क्या पुरुष नसबंदी तुरंत प्रभावी हो जाता है?

Do vasectomies work immediately?
नहीं। यह तरीका प्रभावी होने में कई महीनों लग सकते हैं क्योंकि ट्यूब्स में स्पर्म्स रह सकते हैं जो वीर्य के साथ निकलते हैं। इस समय के दौरान, कोई और प्रोटेक्शन की जानी चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है। कम से कम तीन महीने के बाद यह तरीका प्रभाव हो सकता है। तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के लिए किये जाने वाले टेस्ट से पता किया जा सकता हैं की स्पर्म, सिमन में है की नहीं।
क्या पुरुष नसबंदी का यह तरीका दर्द करता है?
नहीं, दर्द तो नहीं करता लेकिन ज्यादतर पुरुषों को यह असहज लगता है। एनेस्थीसिया देते समय इंजेक्शन लगाने के दौरान, इंजेक्शन वाला दर्द होता है।
पुरुष नसबंदी के कितनी देर बाद मैं काम कर सकता हूँ?
How long does recovery after a vasectomy take?
ज्यादातर पुरुष 2-3 दिन बाद काम पर जा सकते हैं। नार्मल फिजिकल एक्टिविटीज जैसे की भागना, वर्क आउट, भारी समान उठाना आदि सात दिन बाद शुरू किये जा सकते हैं।
क्या नसबंदी मेरी सेक्स लाइफ को प्रभावित करेगी?
Will a vasectomy affect my sex life?
नसबंदी के बाद कुछ महीनों तक टेस्टिकल में आपको हल्का दर्द हो सकता है। लेकिन सेक्स में रुचि, इरेक्शन क्षमता, या स्खलन पर कोई प्रभाव नहीं होता।

पुरुष और महिला नसबंदी के बीच अंतर क्या है?

किसी महिला में नसबंदी करने के लिए फालोपियन ट्यूब्स को काट दिया जाता है। इसे करने के लिए  जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है।
पुरुष नसबंदी में वासडिफरेंस ट्यूब्स को काट कर सील कर दिया जाता है। यह कोई बहुत लम्बा ऑपरेशन नहीं होता और लोकल एनेस्थीसिया दे कर लिया जाता है। इसे आउट पेशेंट सर्जरी के दौरान किया जाता है।
महिला नसबंदी की तुलना में, पुरुष नसबंदी सरल और अधिक प्रभावी है, इसमें कम जटिलताएं हैं और बहुत कम खर्चीली हैं।

पुरुष नसबंदी कितना लोकप्रिय है?

How popular is vasectomy?
  1. अलग-अलग देशों में इसकी लोकप्रियता अलग-अलग है।
  2. भारत में इसे कराने वाले पुरुषों का प्रतिशत केवल 7 से 8 है। ऐसा ही चीन में भी है।
  3. न्यूज़ीलैण्ड में इसे कराने वालों का प्रतिशत 23 है।
  4. अमेरिका और यूरोप में 11 प्रतिशत आदमियों ने इसे कराया है।
  5. यूनाइटेड किंगडम में करीब 18 प्रतिशत ने वेस्क्टोमी करा रखी है।
  6. 40-50 आयु के पुरुषों में यह ज्यादा लोकप्रिय है जिनके परिवार पूरे हैं और उन्हें और बच्चे नहीं चाहिए।
  7. 40 वर्ष से कम आयु के लोग इसे बहुत कम कराते हैं क्योंकि एक बार इसे करा लेने पर बच्चा नहीं हो सकता।
क्या पुरुष नसबंदी या कंडोम के अलावा कोई वैकल्पिक पुरुष गर्भनिरोधक है?
Are there alternative male contraceptives other than vasectomy or condoms?
कुछ वर्षों से मेल गर्भ निरोधकों पर अनुसंधान चल रहा है। अभी तक ऐसा उपलब्ध नहीं है।
क्या एक पुरुष नसबंदी मुझे यौन रोग, एचआईवी या अन्य यौन संचारित बीमारियों से बचाएगा?
Will a vasectomy protect me against venereal disease, HIV or other sexually transmitted diseases?
नहीं। इन रोगों के विरुद्ध अपने और साथी की सुरक्षा के लिए आपको कंडोम का उपयोग करने की आवश्यकता है।
पुरुष नसबंदी कितना प्रभावी है?
How effective is a vasectomy?
कोई भी गर्भनिरोधक तरीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है।
यह 99 प्रतिशत से अधिक प्रभावी है: पुरुष नसबंदी के पहले वर्ष में, प्रत्येक 1,000 में से केवल एक या दो महिलाओं ही गर्भवती हुईं।
For more detail:- www.multicareclinic.blogspot.com

                                          पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 
छत्तीसगढ में परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 21.11.2017 से 04.12.2017 तक आयोजित किया जा रहा है। यह पखवाड़ा 2 चरणों में सम्पादित होगा-
1. Mobillization Phase - 21.11.2017 से 27.11.2017 तक
2. Service Delivery Phase - 28.11.2017 से 04.12.2017 तक
                                       राज्य शासन  द्वारा पात्र हितग्राही को 3000₹ अंशदान दिया जाता है। अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के मितानिन या ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजको से सम्पर्क करे।।





Sunday, 5 November 2017

महिला नसबंदी के फायदे, नुकसान और सावधानी Female sterilization

जानिये महिला नसबंदी कैसे होती है, नसबंदी के तरीकों के बारे में और ऑपरेशन के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए और इसके साइड इफ़ेक्ट क्या होते हैं। नसबंदी के बाद मासिक धर्म पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या नसबंदी के बाद भी प्रेगनेंसी हो सकती है?महिला नसबंदी कैसे होती है 
महिला नसबंदी, गर्भनिरोध का स्थायी तरीका है। यह सर्जरी के द्वारा किया जाता है और इसे करा देने के बाद बच्चा होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ही यह प्रभावी गर्भ निरोधक उपाय है।
पुरुष नसबंदी को वेसेक्टोमी (Vasectomyऔर स्त्री नसबंदी को ट्यूबेक्टोमी Tubectomy कहते है। पुरुषों मे वासडिफरेंस जोकि स्पर्म्स को ले जाने वाली नलिका है, को कट कर दिया जाता है जिससे स्पर्म वीर्य / सीमन में न मिलें तथा स्त्री नसबंदी में डिम्बवाहिनी नलिका जिसे इंग्लिश में फैलोपियन ट्यूब कहते हैं, को कट करके अथवा क्लिप करके बाधित कर दिया जाता है जिससे स्पर्म और ओवा (शुक्राणु और अंडाणु) न मिल पाए और निषेचन न हो पाए।
नसबंदी गर्भनिरोधन का स्थायी तरीका है। इसे कराने के बाद व्यक्ति बाँझ हो जाता है। इसलिए बहुत सोच विचार के बाद इसे कराना चाहिए जिससे मन में किसी भी तरह का गिल्ट न रहे। यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि इस ऑपरेशन के बाद कभी बच्चा नहीं हो पायेगा। यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हों तभी इसे कराएं।

महिला नसबंदी के उपलब्ध प्रकार

सरकारी अस्‍पतालों, परिवार कल्‍याण केन्‍द्रों व चिकित्‍सा एवं परिवार कल्‍याण विभाग द्वारा लगाये गये शिविरों में इसकी महिला नसबंदी कराने की सुविधा दी जाती है। हमारे देश में ट्यूबेक्टोमी या महिला नसबन्‍दी के तीन मुख्य तरीके हैं जो की परिस्थिति एवं समय के अनुसार किये जाते हैं।
1- दूरबीन नसबन्‍दी (लपरोस्‍कोप) Laparoscopy
लैप्रोस्कोपी में सबसे कम समय, 5 से 10 मिनट ही लगते हैं। इसे कराने के बाद अस्‍पताल में रहने का समय बहुत ही कम, केवल 6 से 8 घण्‍टे ही जरूरी है। इसमें एक टांका ही लगाया जाता है और उसका भी निशान नहीं रहता है।
2- मिनी लैप
मिनी लैप ऑपरेशन को बहुत छोटा चीरा लगा कर किया जाता है और इसमें 10 से 20 मिनट का समय ही लगता है।
इस ऑपरेशन में अस्‍पताल में केवल 24 घण्‍टे ही रहने की जरूरत है।
3- परम्‍पागत नसबन्‍दी postpartum tubal ligation
परम्‍पागत नसबन्‍दी का तरीका प्रसव के 3 दिन बाद अधिक सुविधाजनक होता है क्योंकि इस समय महिला अस्‍पताल में ही होती है और प्रसव के बाद उसे आराम करने का अधिक अवसर मिल जाता है। यह ऑपरेशन कराने के बाद करीब 6 दिन तक अस्‍पताल में रहना पड़ सकता है। परम्‍पागत नसबन्‍दी का तरीका वैसे तो कभी भी किया जा सकता है लेकिन इसके लिए विशेष रूप से अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
क्‍या ऑपरेशन तकलीफदेय होता है?
नहीं, ऑपरेशन के समय दर्द नहीं होता क्योंकि यह एनेस्थीसिया लगाकर किया जाता है।
क्‍या ऑपरेशन के बाद महिला की सेक्स करने की इच्‍छा पर असर पडता है?
नहीं, इससे सेक्स करने की इच्छा पर कोई असर नहीं पड़ता। महिला के मासिक धर्म भी पहले जैसे आता है। डिम्‍ब भी बनता है।
क्‍या महिला, ऑपरेशन के बाद मोटी हो जाती है?
नहीं। ऐसा नसबंदी कराने से नहीं होता क्योंकि यह ऑपरेशन केवल डिम्बवाहिनी नलिका / फैलोपियन ट्यूब पर असर करता है जोकि किसी भी तरह कोई हॉर्मोन नहीं बनाती।
क्‍या महिला नसबंदी के बाद गर्भवती हो सकती है?
यह स्‍थायी और कारगर साधन है। लेकिन कोई भी गर्भनिरोधन का तरीका 100 प्रतिशत कारगर नहीं माना जाता। 1000 मामलों में से करीब 5 महिला ऑपरेशन करा लेने के बाद में गर्भवती हो जाती हैं।
  1. कुछ मामलों में नसबंदी कराई महिला में प्रेगनेंसी देखी जाती है जोकि निम्न कारणों से हो सकती है:
  2. महिला का पहले से ही गर्भवती होना।
  3. फेलोपियन नली की पहचान में डाक्‍टर से गलतीं।
  4. डॉक्टर में अनुभव की कमी
  5. ऑपरेशन का ठीक से न किया जाना
  6. फालोपियन ट्यूब का खुल जाना
क्‍या नस दुबारा जोड़ी जा सकती है?
  1. हॉं, यह सम्‍भव तो है परन्‍तु यह काम आसान नहीं है।
  2. सफलता की संभावना बहुत अधिक कम होती है।
  3. इसलिए इसे परमानेंट बाँझपन का तरीका मानें।
  4. इसकी सफलता भी निश्चित नहीं है।
क्‍या महिला नसबंदी के बाद कमर यां पॉंव में दर्द होता है?
नहीं, ऑपरेशन के कारण किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है। अगर कमर या पॉंव में दर्द होता है तो वह किसी अन्‍य बीमारी के कारण होता हो सकता है इसलिये डाक्‍टर को दिखा देना चाहिए।
क्या महिला नसबंदी के कराने के बाद मासिक रक्तस्राव में परिवर्तन होता है?
नहीं। अधिकांश शोधों में महिला नसबंदी के बाद रक्तस्राव के पैटर्न में कोई बड़ा बदलाव नहीं पाया। यदि महिला कॉपर टी का प्रयोग क्र रही थी या गर्भनिरोधन की गोलियां ले रही थी तो यह ऑपरेशन करवा लिए जाने के बाद मासिक में रक्तस्राव सामान्य हो सकता है।
ऑपरेशन को जनरल एनेस्थीसिया या लोकल एनेस्थीसिया के द्वारा किया जाना चाहिए?
इस ऑपरेशन को लोकल एनेस्थीसिया में किया जाना चाहिए। जनरल एनेस्थीसिया, अधिक रिस्की है और यदि ओवरडोज़ में कर दिया जाए तो जानलेवा हो सकता है। लोकल एनेस्थीसिया में ऐसा रिस्क नहीं रहता।

महिला नसबंदी के फायदे और नुकसान क्या हैं?

लाभ Advantages of Tubectomy
गर्भावस्था को रोकने में महिला नसबंदी 99% से ज्यादा प्रभावी हो सकती है। ट्यूबल अवरोध (फैलोपियन ट्यूबों को अवरुद्ध करना) और ट्यूबों को निकालने (सल्क्सेक्टोमी) अक्सर तुरंत प्रभावी हो जाते हैं लेकिन डॉक्टर सुझाव देते हैं कि अगले मासिक तक गर्भनिरोधक का उपयोग जारी रखें।
  1. यह यौन स्वास्थ्य पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव नही डालता।
  2. यह सेक्स ड्राइव को प्रभावित नहीं करता।
  3. यह यौन संभोग की सहजता को प्रभावित नहीं करेगा या सेक्स के साथ हस्तक्षेप नहीं करेगा (जैसा कि गर्भनिरोधक के अन्य रूप हैं)।
  4. यह आपके हार्मोन के स्तर को प्रभावित नहीं करेगा।
नुकसान disadvantages of Tubectomy
महिला नसबंदी एसटीआई के विरुद्ध आपकी रक्षा नहीं करती है, इसलिए यदि आप अपने साथी के यौन स्वास्थ्य के बारे में अनिश्चित हैं तो आप अभी भी कंडोम का उपयोग करना चाहिए।
  1. इसके बाद आपको बच्चा नहीं हो सकता।
  2. कुछ मामलों में लगातार दर्द रहने के कारण फिर से सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है।

महिला नसबंदी के जोखिम और जटिलतायें Risk and Complications

  1. आंतरिक रक्तस्राव
  2. अन्य अंगों को संक्रमण
  3. ऑपरेशन के बाद अस्थानिक गर्भावस्था
  4. ऑपरेशन के बाद दर्द
  5. ऑपरेशन के बाद खून बहना आदि।
स्त्री नसबंदी और पुरुष नसबंदी, कौन सा तरीका सरल है? यह किसे कराना चाहिए?
यह दम्पति पर निर्भर करता है। पुरुष नसबंदी अधिक सरल है और कम रिस्की है। नसबंदी एक सुरक्षित, स्थायी तरीका है इसलिए दम्पति को यह निर्णय सोच-समझ कर करना चाहिए की वे और बच्चा नहीं चाहते। आदर्श रूप में, एक दंपति को दोनों विधियों पर विचार करना चाहिए। यदि दोनों दंपती को स्वीकार्य हैं, तो पुरुष नसबंदी बेहतर होगा क्योंकि यह महिला नसबंदी की तुलना में सरल, सुरक्षित, आसान और कम खर्चीला है।
क्या स्त्री नसबंदी एक्टोपिक गर्भावस्था के खतरे को बढ़ाती है?
नहीं। इसके विपरीत, महिला नसबंदी एक्टोपिक गर्भावस्था के जोखिम को कम कर देती है। महिला नसबंदी के बाद महिलाओं में एक्टोपिक गर्भावस्था की दर प्रति वर्ष प्रति 10,000 महिलाओं में 6 है।
दुर्लभ अवसरों पर कि नसबंदी विफल हो जाती है और गर्भावस्था होती है, इन 100 गर्भधारण के हर 100 (1 में से 3) में से 33 एक्टोपिक हैं। फिर भी, अगर नसबंदी विफल हो जाए तो एक्टोपिक गर्भधारण संभव है।
महिला नसबंदी कहाँ की जा सकती है?
प्रसूति केन्द्रों और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं जहां सर्जरी की जा सकती है।
लैप्रोस्कोपी के लिए एक बेहतर केंद्र की आवश्यकता होती है, जहां प्रक्रिया नियमित रूप से की जाती है और एनेस्थेटिस्ट उपलब्ध है।

For more detail :- Multicare clinic Kawardha#8823800888

Wednesday, 13 September 2017

स्वाइन फ्लू से कैसे बचे

स्वाइन फ्लू और इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) क्या है?
स्वाइन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक सांस की रोग है जो कि सामान्य रूप से केवल सूअरों को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर स्वाइन इन्फ्लूएंजा ए वायरस के H1N1 स्ट्रेंस के कारण होता है। हालांकि H1N2, H3N1 और H3N2 के रूप में अन्य स्ट्रेंस भी सूअरों में मौजूद रहते हैं। हालांकि लोगों में स्वाइन फ्लू होना सामान्य नहीं है, मानवीय संक्रमण कभी-कभी होते हैं, मुख्यतया संक्रमित सूअरों के साथ निकट संपर्क के बाद से मार्च / अप्रैल 2009 के दौरान, सूअर इन्फ्लूएंजा वायरस की एक नई स्ट्रेन मेक्सिको में उभरी, और मनुष्यों में रोग पैदा करना शुरू कर दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इन्फ्लूएंजा के इस नए स्ट्रेन, जिसे इन्फ्लुएंजा ए (H1N1) कहा जाता है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। दुनिया भर के विशेषज्ञों विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं यह निर्धारित करने के लिए कि इस वायरस से जनता को क्या ख़तरा हो सकता है। ऐसा भी विचार है कि यह नया स्ट्रेन एक ह्यूमन फ्लू पैंडेमिक का कारण बन सकता है।

स्वाइन फ्लू कैसे सूअरों के बीच फैलता है? 
सूअर स्वाइन फ्लू प्राप्त कर सकते हैं अगर वे एक संक्रमित सुअर की छोड़ी गई सांस की बूंदों को अपनी साँस में खींचते हैं। उन्हें एक संक्रमित सुअर के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क के माध्यम से भी संक्रमण हो सकता है।
संक्रमित सूअरों के लक्षण क्या हैं? 
सूअरों में स्वाइन फ्लू के लक्षण सुस्ती, बुखार, खांसी और सांस लेने में मुश्किल आदि हो सकते हैं। कुछ संक्रमित सूअर (लगभग 1 से 4%) मर सकते हैं, लेकिन अधिकतर सूअर तेजी से ठीक हो जाते हैं।
किन देशों में संक्रमित सूअर हैं?
स्वाइन इन्फ्लूएंजा दुनिया भर के सभी सुअर उत्पादक देशों में मौजूद है। सूअरों में यह साल भर फैलता रहता है। हालांकि, कई देशों में नियमित रूप से स्वाइन इन्फ्लूएंजा के लिए सूअरों को नियमित टीका देते हैं।
क्या सूअरों से निपटने के लिए कोई विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?
हालांकि इसके कोई संकेत नहीं है कि वर्तमान मानव संक्रमण सूअरों में स्वाइन फ्लू के मामलों से जुड़े होते हैं, अधिकारियों की सलाह है कि सुअर रखनेवाले स्वच्छता के उच्च स्तर को बनाए रखें। सुअर के रखवाले अपने सूअरों में सांस की रोग के असामान्य संकेत जांचें और अगर वो चिंतित है या उन्हें सूअरों की सुरक्षा पर किसी भी सलाह की आवश्यकता होती है तो उनके पशु शल्य चिकित्सक से संपर्क करें।
किन देशों / राज्यों में इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) के मानवीय मामले हैं?
मार्च / अप्रैल 2009 के दौरान, मेक्सिको ने गंभीर श्वसन संक्रमण वाले लोगों की संख्या में वृद्धि की सूचना दी। इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) के साथ मानव संक्रमण की दक्षिणी कैलिफोर्निया और टेक्सास में पुष्टि की गई। तब से, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ब्रिटेन सहित दुनिया भर के कई देशों में इन्फ्लूएंजा एक (H1N1) के मानवीय मामलों की पुष्टि की है।
भारत में घटनायें 2009, 2010, 2012 और 2013 में 2015 में सबसे ज्यादा रही हैं, स्वाइन फ्लू के मामलों में विशेष रूप से जनवरी-फरवरी के दौरान वृद्धि हुई है और वर्तमान में मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के राज्यों से भी रिपोर्ट मिल रही है।
मानव में इन्फ्लूएंजा एक (H1N1) के लक्षण क्या हैं?
जब लोग स्वाइन फ्लू के वायरस से संक्रमित होते हैं, तो उनके लक्षण आमतौर पर मौसमी इन्फ्लूएंजा के लोगों के समान ही होते हैं। इसमें बुखार, थकान, और भूख की कमी, खांसी और गले में खराश शामिल हैं। कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकती है। इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) से संक्रमित कुछ लोगों को गंभीर रोग हुई और मर गए। बहरहाल, कई मामलों में इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) के लक्षण हल्के रहे हैं और अधिकाँश लोग पूरी तरह ठीक भी हुए हैं।
इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) लोगों के बीच कैसे फैलता है?
यह नया इन्फ्लूएंजा वायरस मौसमी फ्लू के सामान ही फैलता हैं; छोटी बूंदों के रूपमें, एक संक्रमित व्यक्ति की नाक और मुंह से, जब वो बात करते हैं खांसते या छींकते हैं। लोग संक्रमित हो सकते हैं अगर वो इन बूंदों को साँस में लेते हैं और वो किसी व्यक्ति या ऐसी चीज़ को छूते हैं जो कि वायरस से दूषित है (उदाहरण के लिए एक प्रयोग किया ऊतक या दरवाज़े के हैंडल) और फिर अपनी आँख और नाक को छूते हैं।अगर वे इन बूंदों को साँस लोगों को संक्रमित हो सकता है या फिर उनकी नाक या आंखों को छूने अगर वे किसी को या कुछ है कि वायरस से दूषित है (उदाहरण के लिए एक प्रयोग किया ऊतक या दरवाज़े के हैंडल) को छूने, और।
क्या इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) से लोगों की रक्षा करने के लिए कोई टीका है?
सीजनल फ्लू शॉट से दो या तीन तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस, जिसमें H1N1 वायरस भी शामिल है, के खिलाफ रक्षा में मदद मिलेगी। टीका एक इंजेक्शन या एक नाक स्प्रे के रूप में उपलब्ध है। उसके लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
क्या उपचार उपलब्ध है?
कुछ एंटीवायरल दवायें, जैसे कि टैमीफ्लू आपके जीपी के पास उपलब्ध हैं। इससे रोग घटती है और जटिलताओं का खतरा कम होता है। इन दवाओं दुष्प्रभाव का कारण है और इसलिए अपने जीपी केवल उन्हें सुझाएगा यदि लाभ जोखिम पल्ला झुकना नहीं, सभी के लिए उपयुक्त हो सकता है।
अपनी मदद करने के लिए और अपने परिवार की रक्षा के लिए मुझे क्या सावधानियां बरतनी होंगीं?
शुद्धता और स्वच्छता वायरस की एक विस्तृत श्रृंखला, जिसमें इन्फ्लूएंजा वायरस भी शामिल है, उसके प्रसार को कम करने में मदद कर सकते हैं।
स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी की सलाह है कि हर कोई हर समय इन सावधानियों का पालन करें:
• बार-बार साबुन और पानी से अपने हाथ धोयें
• जब खाँसी या छींक आये, तो अपने मुंह और नाक को एक टिश्यू से ढक लें, यदि संभव हो
• इस्तेमाल किये टिश्यू का तुरंत और सावधानी के साथ निपटान करें। उन्हें एक बैग में डाल कर फिर पात्र में फेंकें
• स्वच्छ कठोर सतहों (उदाहरण के लिए दरवाज़े के हैंडल) को नियमित साफ़ रखें
• सुनिश्चित करें कि बच्चे इस सलाह का पालन करें
अगर आप एक प्रभावित देश/राज्य की यात्रा करने का इरादा रखते हैं, तो आपको स्थानीय पर्यटन कार्यालयों द्वारा प्रदान की सलाह पर गौर करना चाहिए।
अपने हाथ धोने से कैसे मेरा बचाव होता है?
नियमित अपने हाथ धोना बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला, इन्फ्लूएंजा सहित से खुद को बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। हर बार जब आप कुछ स्पर्श करते हैं, तो कीटाणु आपके हाथों पर आ सकते हैं। मैले हाथों से अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने से आपके शरीर में अपने हाथों से कीटाणुओं का हस्तांतरण हो सकता है। अपने हाथ नियमित धोने से आपको कीटाणुओं को दूर करने और उन्हें आप और अन्य लोगों तक फैलने से रोकने में मदद मिलती है, आप और संक्रमण की एक विस्तृत श्रृंखला से बच सकते हैं।
मैं कैसे सतहों से फ्लू के वायरस को दूर कर सकता हूँ?
संक्रमित व्यक्ति अद्वारा आसपास की तहों पर रोगाणु फैल सकते हैं जब वे खांसते या छींकते हैं, या अपने मैले हाथों से अथवा इस्तेमाल किये टिश्यू के साथ उन्हें छूते है । सतहों की नियमित रूप से सफाई, आपके घर, आप और अन्य लोगों में इन्फ्लूएंजा वायरस और अन्य कीटाणुओं से होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं।
डिटर्जेंट और पानी के साथ सतहों की सफाई से किसी वस्तु से कीटाणुओं को दूर कर सकते हैं, बशर्ते कि आप सभी सतहों को अच्छी तरह से रगड़ कर साफ़ पानी से धो देते हैं। हालांकि, जहां रगड़ना संभव नहीं है (जैसेकि बड़ी या फिक्स्ड सतह, रसोई वर्कटॉप्स, टॉयलेट फ्लश और दरवाज़े के हैंडल आदि) वहाँ कीटाणुओं को मारने में मदद करने के लिए एक कीटाणुनाशक का उपयोग महत्वपूर्ण है। ऐसी सतहें जहाँ लोग अक्सर अपने हाथों से स्पर्श करते हैं उन्हें साफ और कीटाणुरहित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है:
• हैंडल्स और स्विच
• नल और टॉयलेट फ्लश के हैंडल
• किचन वर्कटॉप्स
• टेलीफोन रिसीवर्स
• कंप्यूटर कीबोर्ड्स
सतहों को ऐसे प्रोडक्ट्स के उपयोग से साफ़ और कीटाणुरहित करना जोकि इन्फ्लूएंजा वायरस को नष्ट करने का आश्वासन देते हैं
क्या सूअर का मांस और सूअरों से निर्मित अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन सुरक्षित है? 
ठीक से संभाले और तैयार सूअर के मांस या सूअरों से प्राप्त अन्य खाद्य पदार्थ (जैसे बेकन, सॉसेज) खाने से इन्फ्लूएंजा नहीं हो सकता। हालांकि, अच्छी भोजन स्वच्छता संक्रमण की एक विस्तृत रेंज को रोकने में मदद करती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खाने को हमेशा स्वच्छता से तैयार किया जाये।
• ठीक से संभाले और तैयार सूअर के मांस या सूअरों से प्राप्त अन्य खाद्य पदार्थ (जैसे बेकन, सॉसेज) खाने से इन्फ्लूएंजा नहीं हो सकता। हालांकि, अच्छी भोजन स्वच्छता संक्रमण की एक विस्तृत रेंज को रोकने में मदद करती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खाने को हमेशा स्वच्छता से तैयार किया जाये।
• कच्चे मांस को पकाये हुए या खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थ से दूर रखें
• कच्चे मांस को तैयार करने के लिए एक अलग चौपिंग बोर्ड और चाकू का इस्तेमाल करें
• कच्चे मांस को संभालने के बाद अपने हाथों को तुरंत धो लें
•कच्चे मांस के साथ संपर्क के बाद और बर्तन और सतहों को तुरंत स्वच्छ और कीटाणुरहित करें
किसी में फ्लू के लक्षण विकसित हों, तो उन्हें क्या करना चाहिए? 
अगर आप एक ऐसे क्षेत्र में रहते हैं या हाल ही में रहना शुरू किया हो जो इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) से प्रभावित है, और फ्लू जैसे लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो आपको दूसरों के साथ संपर्क सीमित करने के लिए घर पर रहना है, और अपने को फोन कर अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
क्या यह एक ह्युमन फ्लू पैनडेमिक की शुरुआत है? 
इन्फ्लूएंजा एक (H1N1) वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, और कुछ देशों में फ्लू के फैलने का कारण बनता है, यद्यपि यह भी कहना है कि यह ख़ास वायरस जल्दी एक वैश्विक मानव महामारी का कारण होगा । विश्व स्वास्थ्य संगठन स्थिति पर नजर रखे है।

Saturday, 29 July 2017

राष्ट्रिय कृमि दिवस प्रशिक्षण 2017

कृमि से छुटकारा, सेहतमंद भविष्य हमारा
10 अगस्त 2017 को पुरे भारत देश में एक साथ राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाना है।




प्रशिक्षण को ध्यान में रखते हुए ये वीडियो मै शिक्षको, स्वास्थ्य कर्मचारी, और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ के लिए अपलोड कर रहा हूँ।
मेरा एक छोटा सा प्रयास है अच्छा लगे तो अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देवे।।




Monday, 17 July 2017

शिशु का टीकाकरण - सम्पूर्ण विवरण

टीकाकरण किस तरह कार्य करता है?

हमारे शरीर में संक्रमणों से बचने के लिए प्राकृतिक सुरक्षा होती है। इसे प्रतिरक्षण क्षमता (इम्युनिटी) कहा जाता है। जब हमें कोई संक्रमण होता है, तो इससे लड़ने के लिए हमारा शरीर रसायनों का उत्पादन करता है, जिन्हें एंटीबॉडीज कहा जाता है।

संक्रमण के ठीक होने के बाद भी ये एंटीबॉडीज हमारे शरीर में ही रहते हैं। ये हमें संक्रमण पैदा करने वाले उस जीव के प्रति प्रतिरक्षित बना देते हैं। यह प्रतिरक्षण क्षमता थोड़े समय के लिए या फिर जिंदगी भर भी हमारे साथ बनी रह सकती है।

टीकाकरण के जरिये हमारे शरीर का सामना संक्रमण से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरक्षण क्षमता विकसित कर सके। कुछ टीके मौखिक रूप से दिए जाते हैं, वहीं कुछ अन्य इंजेक्शन के जरिये दिए जाते हैं।

टीके का फायदा यह है कि संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए हमें पूरी तरह बीमार होने की जरुरत नहीं है। हल्का संक्रमण होने से भी टीकाकरण के जरिये हम उसके खिलाफ प्रतिरक्षित हो सकते हैं। इसी वजह से हम उस बीमार के होने से पहले ही उसके प्रति सुरक्षित हो जाते हैं।


शिशु का टीकाकरण करवाना इतना महत्पवपूर्ण क्यों है?

बचपन में टीकाकरण करवाने से शिशु अपनी जिंदगी की शुरुआत से ही संभवतया गंभीर बीमारियों से प्रतिरक्षित हो जाता है। 

अगर, आपके शिशु को किसी बीमारी के खिलाफ टीका लगा हुआ है, तो उसे दोबारा वह बीमारी होने की संभावना काफी हद तक कम होती है। यह इसलिए क्योंकि आपके बच्चे ने उस बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडीज का उत्पादन पहले ही कर लिया है।

सभी समुदायों का सार्वजनिक टीकाकरण होने से माहमारी फैलने की संभावना काफी कम हो जाती है। इस तरह के कार्यक्रमों के जरिये ही बड़ी माता/चेचक (स्मॉलपॉक्स) और पोलियो जैसे रोग पूरी तरह समाप्त हो पाए हैं।

जन्म के शुरुआती कुछ सालों में बच्चे को इतने सारे टीके लगवाने क्यों जरुरी हैं?
जन्म के बाद शुरुआती सालों में शिशु की प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित हो रही होती है। पहले कुछ महीनों तक तो शिशु संक्रमणों से सुरक्षित रहता है। क्योंकि जब वो आपके गर्भ में पलता है और आप उसे स्तनदूध पिलाती हैं, तो उसे आपके द्वारा एंटीबॉडीज मिलती हैं। लेकिन बाद में ये एंटीबॉडीज खत्म होने लगते हैं, और शिशु को स्वयं अपनी एंटीबॉडीज उत्पन्न करने की जरुरत होती है। टीके शिशु के शरीर को ये एंटीबॉडीज विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं।

टीकाकरण के अलग-अलग प्रकार कौन से हैं?

टीकाकरण निम्नांकित तीन प्रकार का होता है:
  • प्राथमिक टीकाकरण: इसमें एक से लेकर पांच खुराकें शामिल हो सकती हैं। ये खुराकें शिशु के जन्म के समय शुरु होती हैं और उसकी जिंदगी के शुरुआती कुछ सालों तक जारी रहती हैं। ये शिशु के शरीर में किसी विशेष बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षण क्षमता विकसित करती हैं। इन टीकों की सभी खुराकें लेना आवश्यक है।

  • बूस्टर टीकाकरण: बूस्टर खुराकें प्राथमिक टीकाकरण के प्रभाव को बढ़ाने के लिए दी जाती हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, एंटीबॉडीज का स्तर कम होने लगता है। परिणामस्वरूप शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी स्तर बनाए रखती है।

  • सार्वजनिक टीकाकरण: किसी विशेष बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए इस तरह का टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम अधिकांशत: सरकार द्वारा देश की जनता के स्वास्थ्य कल्याण के लिए चलाए जाते हैं। बड़ी माता/चेचक और हाल ही में पोलियो भी इस तरह के कार्यक्रमों के जरिये ही समाप्त हो पाएं हैं।

क्या टीकाकरण सुरक्षित है?

विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण आपकर शिशु के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। इस्तेमाल की मंजूरी देने से पहले टीकों की अच्छी तरह से जांच की जाती है। इन पर निंरतर निगरानी रखी जाती है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि बीमारियों से शिशु की रक्षा करने के लिए ये पूरी तरह प्रभावी और सुरक्षित हैं।

क्या टीकाकरण के कोई अन्य दुष्प्रभाव भी हैं, जिनके बारे में मुझे जानना चाहिए?

टीकाकरण के बाद करीब 10 मिनट तक आपको डॉक्टर के क्लिनिक में ही रहने के लिए कहा जा सकता है। यह इसलिए ताकि अगर शिशु को इंजेक्शन के प्रति कोई प्रतिक्रिया होती है, तो डॉक्टर तुरंत उसकी जांच कर सकें।

इंजेक्शन के जरिये दिए जाने वाले टीकों से शिशुओं और बच्चों को थोड़ी परेशानी हो सकती है। इससे वे चिड़चिड़े और अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं। इंजेक्शन लगाई गई जगह अक्सर लाल और सूजी हुई हो जाती है। आपके शिशु को हल्का बुखार भी आ सकता है। 

अगर, शिशु को काफी तेज बुखार हो या ज्वरीय आक्षेप (फेब्राइल कनवल्जन) हो, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाएं।

                                    

Sunday, 2 July 2017

मानसून में सेहत का ऐसे रखे ख्याल

बारिश का मौसम आ चुका है और इस समय सबसे अधिक खतरा रहता है इंफेक्शन का शरीर पर लगना। वर्षा के मौसम में शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता घट जाती है। एैसे में टाइफाइड,सर्दी.जुकाम, दस्त, पीलिया और डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। और मासून की ये बीमारियां छोटे बच्चों से लेकर बड़े बजुर्गों को भी परेशान करती हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आपको अपने खान-पान पर ध्यान देना। वैदिक वाटिका आपको बता रही है कैसे करें अपनी सेहत की सुरक्षा इस मौसम में।
मानसून में स्वस्थ रहने के घरेलू उपाय-
खाने में
मानसून के मौसम में गर्मी और उमस बहुत होती है। जिससे शरीर में विटामिनों की कमी होती है। एैसे में जरूरी है कि आप अपने भोजन में संतरे व नारंगी का जूस ए बादामए दूध से बनी चीजें और हरि सब्जियों का सेवन अधिक करें। यदि आप खाने में इन बताई गई चीजों का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर की इम्युनिटी सिस्टम ताकतवर होगा। जिससे शरीर में बीमारियां लगने की संभावना नहीं होती है। जो लोग मांस का सेवन करते हैं वे मानसून के मौसम में रेड मीट आदि का सेवन करें।
बासी खाना हो सकता है खतरनाक
मानसून में यदि आप इफेक्शन से बचना चाहते हो तो बासी खाने का सेवन ना करें। बासी खाना पेट मे जाकर फंगस आदि बनाता है जब आप बासी खाना खाते हैं वह सीधे आपके पाचनतंत्र को प्रभावित करता है जिससे उल्टीए दस्त और सिर दर्द हो सकता है। इसलिए आप बासी खाना ना खाएं और सलाद और ताजे खाने को खाएं। इसके अलावाआप जो भी सब्जी व फल खाते हैं उन्हें अच्छी तरह से साफ करें। क्योंकि यह टाइफाॅइड को न्योता देता है।
पानी के साथ कोई समझौता नहीं
मानसून के मौसम में अक्सर प्यास कम लगती है। जिससे शरीर धीरे.धीरे कमजोर होने लगता है। इसलिए आप साफ पानी पीएं। जो लोग गांव में रहते हैं वे पानी को उबालकर उसे ठंडा कर के पीएं। पानी शरीर को पोषण देता है। ध्यान रखें आप जो पानी बाहर पीते हैं वे आपके लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए फिल्टर का पानी ही पीएं। पीलिया और टाइफाॅड की अधिक समस्याएं गंदे पानी के सेवन करने से होती हैं। इसलिए ध्यान रखें।
हल्का फुल्का खाना लें
सुबहए शाम और रात के खाने के बीच-बीच में हल्का-फुल्का कुछ ना कुछ खाते रहें। एैसा करने से शरीर अंदर से मजबूत बनेगा।
मानसून के मौसम का खूब मजे लें और बारिश आदि में नहाएं बस इन बातों को अपने ध्यान में जरूर रखें। सेहत का ध्यान रखने के लिए आपको जरूरी है कि कैसे अपने आपको बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसलिए आप चिंता ना करें मैं आपको समय-समय पर आपकी अच्छी सेहत के लिए जानकारी देता रहूँगा।
@Bunty chandrasen kawardha