दुनिया भर में कोरोना वायरस से अब तक एक लाख 28 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. साथ ही संक्रमण के मामले भी बढ़कर20 लाख के पार पहुंच गए हैं.
हम आपको यहां बता रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण कैसे फैलता है और इससे बचने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं.
कोरोना वायरस आपके फेफड़ों को संक्रमित करता है. इसके दो मूल लक्षण होते हैं बुख़ार और सूखी खांसी. कई बार इसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में भी दिक्कत पेश आती है.
कोरोना के कारण होने वाली खांसी आम खांसी नहीं होती. इस कारण लगातार खांसी हो सकती है यानी आपको एक घंटे या फिर उससे अधिक वक्त तक लगातार खांसी हो सकती है और 24 घंटों के भीतर कम से कम तीन बार इस तरह के दौरे पड़ सकते हैं. लेकिन अगर आपको खांसी में बलग़म आता है तो ये चिंता की बात हो सकती है.
इस वायरस के कारण शरीर का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है जिस कारण व्यक्ति का शरीर गर्म हो सकता है और उसे ठंडी महसूस हो सकती है. व्यक्ति को शरीर में कंपकंपी भी महसूस हो सकती है.
माना जा रहा है कोरोना वायरस के लक्षण दिखना शुरु होने में औसतन पांच दिन का वक्त लग सकता है लेकिन कुछ लोगों में ये वक्त कम भी हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है.
कब होती है अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत?
जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण है उनमें से अधिकतर लोग आराम करने और पैरासिटामॉल जैसी दर्द कम करने की दवा लेने से ठीक हो सकते हैं.
अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए. मरीज़ के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की ज़रूरत है.
लेकिन इसमें मरीज़ को अस्पताल के आपात विभाग यानी ऐक्सीडंट ऐंड इमर्जेंसी में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती.
अगर मरीज़ को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है तो वो भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 या फिर 24 घंटों चलने वाले टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क कर सकते हैं. देश केविभिन्न राज्यों ने भी नागरिकों के लिए हेल्पलाइनशुरु किए हैं जहां ज़रूरत पड़ने पर फ़ोन किया जा सकता है. वही छत्तीसगढ़ में डायल 104 में फ़ोन कर जानकारी ले सकते है।
इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में क्या होता है?
इंटेंसिव केयर यूनिट अस्पताल के ख़ास वार्ड होते हैं जहां गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को रखा जाता है.
यहां कोरोना वायरस के मरीज़ों के ऑक्सीजन की ज़रूरत को मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगा कर या फिर नाक में ट्यूब के ज़रिए पूरा किया जाता है.
जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हं वेंटिलेटर पर रखा जाता है. यहां सीधे फेफड़ों तक ऑक्सीजन की अधिक सप्लाई पहुंचाई जाती है. इसके लिए मरीज़ के मुंह में ट्यूब लगाया जाता है या फिर नाक या गले में चीरा लगा कर वहां से फेफड़ों में ऑक्सीजन दिया जाता है.
कितना घातक है कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है.
फ़िलहाल कई देशों में इससे संक्रमित हज़ारों लोगों का इलाज चल रहा है और मरने वालों का आँकड़ा बढ़ भी सकता है.
6 फ़ीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था.
14 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए. इनमें सांस लेने में दिक्क़त और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई.
80 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी. कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.
कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.
कोरोना वायरस का टीका बनाने का काम अभी चल रहा है.
दूसरे देशों ने भी इस वायरस से बचने के लिए अपने अपने देशों में स्कूल कॉलेज बंद करने और सर्वजनिक सभाएं रद्द करने जैसे क़दम उठाएं हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लोगों के लिए एहतियात बरतने के तरीक़ों के बारे में जानकारी जारी की है.
संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा अधिकारी या कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए. जो लोग बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाएगी.
अस्पताल पहुंचने वाले सभी मरीज़ जिनमें फ्लू (सर्दी ज़ुकाम और सांस लेने में तकलीफ) के लक्षण हैं, स्वास्थ्य सेवा अधिकारी उनका परीक्षण करेंगे.
परीक्षण के नतीजे आने तक आपको इंतज़ार करने और दूसरों से खुद को दूर रखने के लिए कहा जाएगा.
कोरोना वायरस यानी 'कोविड 19' से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं.
जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं. इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं.
संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं.
ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार फेस मास्क इससे प्रभावी सुरक्षा प्रदान नहीं करते.
होम आइसोलेशन में कोरोना से सम्बंधित उचित सलाह देते हुए स्वास्थ्य कर्मचारी
कोरोना वायरस दुनियाभर में COVID-19 के रूप में जान ले रहा है। इस जानलेवा वायरस से बचने का इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है। दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी से इन्फेक्टेड हो चुके हैं और कई हजार की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है बचाव। जहां तक संभव हो खुद को बचाकर रखें और अपनी इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाएं।
दुनियाभर में कोरोना वायरस के 8 लाख से अधिक पॉजिटिव केस सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यह वायरस SARS यानी severe acute respiratory syndrome से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि कोरोना वायरस को फैलने में सिर्फ 10 सेकंड का समय लगता है। अगर किसी की इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर है तो उसे कोरोना वायरस और जल्दी अपनी चपेट में ले सकता है। लिहाजा इम्यूनिटी को मजबूत बनाना बेहद जरूरी है।
बचाव ही है कोरोना से बचने का बेस्ट तरीका
इस जानलेवा वायरस से बचने का इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है। ऐसे में डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स भी यही मानते हैं कि इस बीमारी से बचना ही सबसे बेहतर बचाव है। इस दौरान अपनी डेली लाइफस्टाइल, फिजिकल ऐक्टिविटी और खानपान का पूरा ध्यान रखें। अपनी डेली डायट में ऐसी चीजों को शामिल करें जिसमें ऐंटी-वायरल प्रॉपर्टीज हो ताकि आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बने और आपका शरीर हर तरह की बीमारी से बचा रहे।
इंफेक्शन से बचना है तो इम्यूनिटी बनाएं स्ट्रॉन्ग
बेसिक हाइजीन यानी साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखें। दिनभर में कई बार ऐंटिसेप्टिक हैंड वॉश का इस्तेमाल कर हाथों को अच्छी तरह से साफ करते रहें। अगर घर से बाहर हों तो ऑइल-बेस्ड हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। गंदे हाथों से अपनी आंख, नाक और मुंह को बिलकुल न छूएं। इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में खाने पीने की चीजों का भी अहम रोल होता है। लिहाजा चेंजिंग वेदर में जब वायरस भी काफी फैला हुआ है कच्ची चीजें जैसे- कच्चा मीट, कच्चा अंडा और कच्ची सब्जियों का सेवन बिलकुल ना करें। इसके अलावा इंफेक्शन से बचने के लिए इम्यून सिस्टम ठीक करना जरूरी है। कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें अगर आप डायट में शामिल कर लें तो आपकी इम्यूनिटी मजबूत बन सकती है।
तुलसी और शहद खाएं
ऐंटी-वायरल और ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री प्रॉपर्टी से भरपूर तुलसी का रोजाना सेवन करें, इससे आपकी रोगों से लड़ने की ताकत मजबूत बनेगी। लेकिन बेहद जरूरी है कि आप तुलसी का सेवन सुबह के समय खाली पेट में करें। रोजाना तुलसी की 5 पत्तियों को 1 चम्मच शहद और 3-4 काली मिर्च के दानों के साथ खाएं, इम्यूनिटी मजबूत बनेगी।
सूरजमुखी के बीज
ये बीज सेलेनियम के बेहतरीन सोर्स हैं, जो हमारी कोशिकाओं के नुकसान की भरपाई करते हैं। ये विटमिन ई के भी अच्छे स्रोत हैं, यानी यह आपको बाहरी इंफेक्शन से भी बचाते हैं। सूरजमुखी के बीज को आप सलाद के साथ मिलाकर खा सकते हैं या फिर ऐसे ही मसाला मिलाकर खाएं।
हल्दी और अदरक
हल्दी और अदरक में पाया जाने वाला ऐंटिऑक्सिडेंट और ऐंटी-इंफ्लेमिट्री कंपाउंड ऐलर्जी से लड़ता है। ऐंटी-वायरल और जिंजरॉ से भरपूर अदरक और कर्क्युमिन से भरपूर हल्दी दोनों ही आपकी इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करते हैं। एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर को गरम दूध में डालकर पिएं और अदरक की चाय का सेवन करें या फिर आप अदरक को शहद के साथ खा सकते हैं।
दालचीनी भी है फायदेमंद
पॉलिफेनॉल्स और प्लांट ऐंटिऑक्सिडेंट दालचीनी को इम्यूनिटी दुरस्त रखने की ताकत देते हैं। इसके ऐंटि-वायरल और ऐंटि-फंगल होने की खासियत ही इसे कोल्ड और फ्लू के लिए बेहतर दवा के तौर पर पेश करती है। आप चाहें तो दालचीनी के पाउडर को चाय में छिड़क कर या पैनकेक आदि में डालकर इसका सेवन कर सकते हैं।
अलसी के बीज
bunty chandrasen
इसमें ऐंटी-ऐलर्जिक सीलियम और ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है। एक चम्मच अलसी के बीज को गरम दूध के साथ पिएं। सलाद, दही के साथ भी खा सकते हैं। अलसी भी आपके रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करती है।