Thursday, 11 December 2014

वजन घटाने मे मददगार होती है 5 प्रकार की चाय


भारत में चायके दीवानों की कमी नहीं है। कुछ लोग चाय पीने की आदत को अच्छा तो नहीं मानते, लेकिन चाय पीना उनके जीवन में किसी अनिवार्य काम से कम भी नहीं है। चाय के फायदे और नुकसान पर अक्सर बहस होती है। ऐसा नहीं कि चाय के सिर्फ नुकसान ही हैं, उसके कई फायदे भी हैं। आइए जानते हैं विभिन्न प्रकार की चाय के फायदे, जो वजन घटाने में मददगार हैं।

वैज्ञानिक शोध के अनुसार कुछ खास प्रकार की चाय में ऐसे तत्व होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। ये 5 प्रकार की चाय हैं, जो आपको दुबला कर सकती हैं।

वह पेय जिससे आपको ऊर्जा और ताजगी मिलती है, वजन कम करने में भी आपकी मदद कर सकती है। यह तो आमतौर पर सभी जानते हैं कि एक कप चाय हर रोज आपको दिल के दौरे, गठिया, दांत क्षय और यहां तक कि कैंसर को भी आपसे दूर रखती है।

चिंता को दूर करने के गुण के अलावा, (यह इसमें होने वाले कुछ खास तत्वों के कारण होता है) यह वजन को कम करने में बहुत कारगर हैं। यह 5 प्रकार की चाय हैं, जो आपको स्लिम कर देंगी।

स्टार अनिस टी : स्टार अनिस चाय पाचनक्रिया को सुधारती है। यह चाय चीन में पूरे साल फलने वाले पौधे के फल से बनती है। इस चाय का उपयोग पाचन संबंधी बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है, जैसे पेट खराब होना, दस्त और उल्टी होने पर। यह चाय एक पूरी फली को गर्म पानी में 10 मिनिट तक डालकर बना सकते हैं। पानी को छान लें और अगर आप इसे मीठा पीना चाहते हैं तो इसमें शकर या शहद मिला लें और छोटे-छोटे घूंट ले-लेकर इसे पिएं। आपको पेट संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा।

पीपरमेंट टी (पुदीने का अर्क) : अगर आपको पीपरमेंट चाय पसंद है तो आप इसे ग्रीन टी के बदले कभी-कभी बदलकर पी सकते हैं। दोनों ही चाय पाचन को सुधारने में बहुत फायदेमंद है। पीपरमेंट के पत्तों का इस्तेमाल इस चाय को बनाने में किया जाता है। इसे गर्म या ठंडा पिया जा सकता है। इसे बनाने के लिए एक चम्मच ताजा या सूखी हुई पत्ती को उबलते हुए पानी में डाल दीजिए। इन्हें पानी में 4 से 5 मिनट के लिए रहने दीजिए और फिर छानकर चाहें तो शहद मिलाकर पीजिए।

ग्रीन टी : शोध के हिसाब से इस चाय में पाया जाने वाला रसायन EGCG शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है, जो कि शरीर से वजन कम करने का काम करता है। यह एक दिन में करीब 70 कैलोरी तक कर देता है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट केटेचिंस होता है, जो कि मेटाबोलिज्म बढ़ाता है और चर्बी को घटाता है। यह चाय 85 डिग्री सेल्सियस पर करीब 2 से 3 मिनट में तैयार हो जाती है।

रोजटी: रोज टी सबसे पुराने स्वाद में पाई जाने वाली चाय में से एक है। इसे ताजा गुलाब और कलियों से बनाया जाता है। यह शरीर के लिए एक थैरेपी की तरह है। यह न केवल शरीर में मौजूद जहरीले तत्वों को दूर करके त्वचा को सुन्दर बनाता है बल्कि इसमें विटामिन A, B3, C, D और E होते हैं, साथ ही साथ ये संक्रमणों से भी निजात दिलाता है।

ओलोंग टी (Oolong Tea) : शोध से खुलासा होता है कि अोलोंग टी, थोड़ा खमीर उठाने की प्रक्रिया से तैयार होती है। यह ग्रीन टी से ज्यादा कारगर होती है। यह चाय चर्बी जलाती है और कोलेस्ट्रोल और शरीर में घुली हुई चर्बी को कम करती है। वजन कम करने के लिए रोज 2 कप ओलोंग चाय पीने की सलाह दी जाती है। 

सर्दियो मे कैसे बचे सर्दी से....

सर्दियों में जुकाम दुनियाभर के लोगों को प्रभावित करने वाली सबसे आम बीमारी है। 100 से भी ज्यादा वायरस ऐसे हैं, जो इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं और यह बहुत आसानी से फैलता है। इसलिए जुकाम फैलाने वाले वायरसों के संक्रमण से बचना काफी मुश्किल हो जाता है। शरीर में पहुंचने के बाद ये वायरस संख्या में बढ़ना शुरू होते हैं, जिससे ये लक्षण दिखाई देना शुरू होते हैं।

- गले में खराश, छींके एवं नाक बहना।

- आंखों से पानी निकलना।

- बदन दर्द एवं खांसी।

- सांस लेने में परेशानी या हल्का बुखार आने जैसे कई लक्षण सामने आते हैं।

आमतौर पर जुकाम 1-2 हफ्तों में ठीक हो जाता है। चिकित्सकों का मानना है कि इसके वायरस की उम्र 7 दिन की होती है। आमतौर पर यह किसी औषधि से नहीं मरता। औषधियां केवल लक्षणों को ठीक करने के लिए दी जाती हैं। यह कहावत बहुत आम है कि जुकाम दवाएं खाएं तब भी 7 दिन में ठीक होता है और नहीं खाएं तब भी एक हफ्ते में ठीक होता है।

क्या करें..

सर्दी होने पर अनावश्यक मेहनत से बचना चाहिए। रूटीन के काम कर सकते हैं, लेकिन इस दौरान धूल और धूएं से बचना चाहिए, नहीं तो हालत बिगड़ सकती है। भरपूर आराम के साथ ही पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेना चाहिए, विशेषकर फलों का रस जरूर लें। जुकाम के कारण पाचन तंत्र भी निष्क्रिय पड़ जाता है, इसलिए हल्के, सुपाच्य खाद्य पदार्थ थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। कफ सिरप आदि दवाओं से लक्षणों में राहत मिल सकती है, लेकिन ये जुकाम का बचाव या इलाज नहीं होता है, न ही इनसे बीमारी जल्दी ठीक होती है।

सर्दी-जुकाम से बचने के लिए फिलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन बीमार न पड़ें, इसके लिए कुछ उपाय जरूर किए जा सकते हैं। अपने आहार की ओर ध्यान दें, प्रतिदिन ऐसा आहार लें, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हों, पर्याप्त नींद लें और व्यायाम भी करें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रहेगी।

बच्चों और बुजुर्गों को हीटर के सामने नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि इससे त्वचा रुखी होकर फट सकती है। त्वचा की दरारों के जरिए संक्रमण शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं।

बन्टी चन्द्रसेन

Saturday, 6 September 2014

हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय

हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू नुस्खे.......

हाई ब्लड प्रेशर आजकल सामान्य हो चला है।
इसकी बड़ी वजह अनियमित दिनचर्या और आधुनिक
जीवन शैली है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में
शहरी लोग अधिक तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं।
हाई ब्लड प्रेशर में चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने
लगता है। रोगी का किसी काम में मन नहीं लगता। उसमें
शारीरिक काम करने की क्षमता नहीं रहती और
रोगी अनिद्रा का शिकार रहता है। इस रोग का घरेलू
उपचार भी संभव है, जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल
करने से बिना दवाई लिए इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत:
नियंत्रण पाया जा सकता है। जरूरत है संयमपूर्वक नियम
पालन की। आइए जानें हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू
उपाय।

हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय
1) नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है। इसलिए
यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि हाई
बी पी वालों को नमक का प्रयोग कम कर देना चाहिए।
2) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त
का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह
धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब
बढ जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत
मददगार घरेलू उपाय है। यह रक्त का थक्का नहीं जमने
देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में
ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान
करती है।
3) एक बडा चम्मच आंवले का रस और इतना ही शहद
मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ
होता है।
4) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास
मामूली गर्म पानी में काली मिर्च पाउडर एक चम्मच
घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर
सही करने का बढिया उपचार है।
5) तरबूज के बीज की गिरि तथा खसखस अलग-अलग
पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। एक चम्मच
मात्रा में प्रतिदिन खाली पेट पानी के साथ लें।
6) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये
आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के
अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
7) पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम
की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर
खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में लाभ नजर आने लगेगा।
8) हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत
लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर
खाएं।
9) नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें। रोजाना चलने
से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
10) सौंफ़, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर
पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण
घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
[इसे भी पढ़े : प्याज के फायदे ]
11) पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस
सुबह-शाम पीयें, लाभ होगा।
12) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-
रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
13) गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई
गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न
निकालें।
14) ब्राउन चावल उपयोग में लाए। इसमें नमक,
कोलेस्टरोल और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह
उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन
है।
15) प्याज और लहसुन की तरह अदरक
भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल
धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैल्शियम युक्त
मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध
खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में
सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर
एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे
लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके
रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास
की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च
रक्तचाप नीचे आ जाता है।
16) तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के
साथ लें। इसे पंद्रह दिनों तक लेने से लाभ मालूम होता है।

Sunday, 22 June 2014

त्वचा की देखरेख....

त्वचा शरीर का सबसे बड़ी अंग प्रणाली है। यह सख्त
और नमनशील है और अपने नीचे के ऊतकों को हवा,
पानी, विदेशी पदार्थों और बैक्टीरिया से
बचाती है। यह चोट के प्रति संवेदनशील है और उसमें
अपनी मरम्मत करने की उल्लेखनीय क्षमता है।
बहरहाल, अपनी इस लोच के बावजूद त्वचा लंबे समय
तक दाब, अत्यधिक बल या घर्षण बरदाश्त नहीं कर
सकती।
त्वचा पर लगातार दाब त्वचा को पोषण और
आक्सीजन आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं
को निचोड़ देता है। जब त्वचा को बहुत समय तक
रक्त नहीं मिलता है तो ऊतक मर जाते हैं और एक
प्रेशर अल्सर बनता है।
प्रेशर अल्सर लकवाग्रस्त व्यक्ति के जीवनकाल में पेश
आने वाली एक प्रमुख जटिलता है। यह आकलन
किया गया है कि मिसाल के तौर पर
रज्जुमज्जा चोट वाले तीन में से एक व्यक्ति में चोट
आने के बाद के शुरुआती दिनों में प्रेशर सोर
हो जाता है जबकि 50 प्रतिशत और 80 प्रतिशत में
बाद में होता है। प्रेशर सोर से बचा जा सकता है
लेकिन यह उन लोगों में भी हो जा सकता है जिन्हें
बढि़या सेवा और अच्छे उपकरण दिए गए हैं। इन सोर
को ठीक होने में अकसर ढेर सारा समय, धन और
सेवा की जरूरत पड़ती है; प्रेशर सोर की वजह से
महीनों बिस्तर पर पड़े रहना पड़ सकता है, खास कर
तब जब यह आपरेशन के कारण हुआ हो। इसमें
हजारों डॉलर खर्च हो सकते हैं और इसमें
आपकी नौकरी, स्कूल या परिवार का मूल्यवान
समय खर्च हो सकता है।
प्रेशर सोर, प्रेशर अल्सर, बेड सोर, डेकुबिटी और
डेकुबाइटस अल्सर शब्द हैं जो त्वचा के एक क्षेत्र के
नष्ट होने को परिभाषित करते हैं जहां अत्यधिक
दाब या बल का प्रयोग हुआ हो। यह स्थिति एक तरह
से त्वचा और उसके नीचे के विभिन्न ऊतकों को हुई
क्षति है।
दाब के चलते त्वचा क्षति आम तौर पर शरीर में
वहां होती है जहां हड्डी त्वचा की सतह के बहुत
निकट होती है, जैसे कूल्हे। हड्डी के ये उभरे हुए हिस्से
त्वचा पर अंदर से दबाव डालते हैं। अगर बाहर भी कोई
सख्त सतह हो तो त्वचा प्रवाह से कट जाती है।
चूंकि प्रवाह की दर लकवा के कारण घट
चुकी होती है, त्वचा तक आक्सीजन कम पहुंचता है
और त्वचा का प्रतिरोध घटा देता है। शरीर
इसकी भरपाई क्षेत्र में अधिक रक्त भेज कर करने
की कोशिश करता है। इससे सूजन हो सकती है जिससे
रक्त वाहिकाओं पर और भी दबाव बढ़ सकता है और
त्वचा का स्वास्थ्य और भी खतरे में पड़ सकता है।
त्वचा पर फोड़ा का मतलब कई हफ्तों तक अस्पताल
में भर्ती रहना या बिस्तर पर आराम
करना हो सकता है ताकि फोड़ा ठीक हो सके।
जटिल प्रेशर सोर में आपरेशन या त्वचा के प्रतिरोपण
की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
किसको होता है प्रेशर सोर? किसी को भी प्रेशर
सोर हो सकता है अगर वह लंबे समय तक एक
ही मुद्रा में रहे जिससे शरीर के किसी खास हिस्से में
जबरदस्त दाब पड़े, और उनमें पूरी गतिशीलता वाले
लोग भी शामिल हैं। व्हीलचेयर पर या बिस्तर पर रहने
वाले लोगों को खास तौर पर हो सकता है
क्योंकि उन्हें अपनी मुद्रा बदलने में दिक्कत होती है,
या बिना किसी सहायता के भार दूसरी तरफ
नहीं डाल सकते। जब सीमित गतिशीलता के साथ
क्षीण संवेदना के संयोग होने पर
किसी व्यक्ति को प्रेशर सोर होने
की आशंका ज्यादा होती है क्योंकि वह यह समझ
नहीं पाता कि कब दबाव हटाने के लिए भार बदले।
संवेदना की कमी बस कहानी का एक ही हिस्सा है।
ट्रॉमा या रोग से संबंधित लकवा त्वचा के
जैवरसायन को ही प्रभावित करता है। मिसाल के
तौर पर, त्वचा को तनन शक्ति प्रदान करने वाले
कोलाजेन जैसे प्रोटीनों का खासा क्षरण होता है;
यह त्वचा को कमजोर और कम तन्य बनाता है।
कालप्रभाव की प्रक्रिया भी त्वचा के फटने
की प्रक्रिया बढ़ा सकती है। ज्यदा उम्र के लोगों में
प्रेशर सोर होने का खतरा ज्यादा होता है।
शरीर के हड्डी वाले उभरे हुए हिस्से (कूल्हे, तलवे और
कुहनी, टेलबोन और इश्चियम) के गिर्द
की मांसपेशियों के उपयोग नहीं किए जाने से
मांसपेशी का क्षरण (एट्रोफी) होता है जिससे
त्वचा के टूटने का खतरा बढ़ता है।
घर्षण का बल या कतरना -- किसी सतह के हिसाब
से त्वचा ऊतकों को घसीटा जाना, जैसे बिस्तर
या कुर्सी में खींचे जाने से रक्तवाहिकाएं फैल
या मुड़ जाती हैं जिससे प्रेशर अल्सर हो जाता है।
उठाने की जगह किसी सतह पर खिंचे जाने से छीलन
या खराश आ जा सकती हैं। कोई ठोकर लगने
या गिरने से त्वचा को क्षति पहुंच सकती है जो ऐसे
नहीं दिखेगी। प्रेशर सोर कपड़ों, बंधनों या सख्त
वस्तुओं से भी हो सकती है जो आपकी त्वचा पर
दबाव डालती हैं। साथ ही, सीमित संवेदना वाले
लोग जलने से त्वचा क्षति के शिकार हो सकते हैं।
अत्यधिक आद्रता भी ऐसे लोगों में प्रेशर सोर होने
का कारण जो सकते हैं जिन्हें पसीना बहुत
निकलता है और/या जो व्यवभिचारी हैं।
पोषण: खराब पोषण किसी व्यक्ति के समग्र
स्वास्थय के लिए खतरा बनता है, लेकिन लकवाग्रस्त
व्यक्ति में प्रेशर सोर के विकास होने और उसके बहुत
धीमी रफ्तार से ठीक होने का खतरा होता है।
शरीर को त्वचा को स्वस्थ रखने,
किसी क्षति को दुरूस्त करने और संक्रमणों से लड़ने के
लिए प्रोटीन और विटामिन जैसे विभिन्न
पोषकों की आवश्यकता पड़ती है। पोषक तत्वों से
वंचित शरीर की प्रेशर सोर जैसी जटिलताओं को दूर
रखने की क्षमता सीमित होती है।
वजन की समस्यास: सामान्य से ज्यादा वजन वाले
लोगों में प्रेशर सोर होने
का खतरा ज्यादा होता है; सामान्य से कम वजन
वाले लोगों के लिए भी ज्यादा खतरा होना संभव
है। सामान्य से ज्यादा वजन वाले व्यक्ति के लिए
अतिरिक्त वजन शरीर को त्वचा के संवेदनशील हिस्से
पर दाब बढ़ाने के लिए बाध्य करता है। मांसपेशी और
बॉडी मास को आप पैड की तरह सोच सकते हैं,
उसकी कमी तनाव के प्रति त्वचा को कम
लचीला बनाती है।
प्रेशर सोर के खतरों को बढ़ाने वाले अन्य कारकों में
खराब स्वास्थ्य, डिहाइड्रेशन, खराब साफ-सफाई,
धूम्रपान, एनिमिया, डायबीटीज जैसी गंभीर
बीमारियां, संवहनी रोग, मस्तिष्क-संस्तम्भता,
खराब उपकरण, नशाखोरी और अवसाद शामिल हैं।
चिकित्सा साहित्य बताता है कि अवसादग्रस्त
लोग त्वचा स्वास्थ्य जैसे अपनी देखरेख के महत्वपूर्ण
मुद्दों के प्रति कम सजग होते हैं।
प्रेशर सोर के प्रकार: प्रेशर सोर को उनकी गहराई
और आकार और ऊतक
स्तरों को क्षति की गंभीरता के आधार पर चार
चरणों में श्रेणीबद्ध किया गया है। ये चरण हैं: चरण 1
(आरंभिक लक्षण), चरण 2 (फफोले और कभी-
कभी मूंह खुलना या अल्सर), चरण 3 (क्षति ऊतक के
अंदर गहराई तक पैठ जाती है) और चरण 4
(क्षति मांसपेशी तथा हड्डी तक)।
चरण 1: लगभग हमेशा कोई प्रेशर सोर त्वचा पर एक
लाल धब्बे की तरह शुरू होता है। यह लाल
इलाका सख्त और/या गरम महसूस हो सकता है।
काली या सांवली चमड़ी वाले लोगों को यह
इलाका चमकीला या औसत से ज्यादा गहरा प्रतीत
होगा। इस चरण में ऊतकों में टूट दुरुस्त
की जा सकती है; जैसे ही दाब
हटाया जाएगा त्वचार सामान्य स्थिति में लौट
जाएगी।
देखरेख: दाब के किसी भी स्रोत को हटाएं।
प्रभावित क्षेत्र को गरम पानी से साफ करें और
सुखा रखें। जब तक इसका रंग बदला रहे, इससे
किसी तरह का भी दाब हटा कर त्वचा को पूर्ण
बहाली का मौका दें। अगर प्रेशर सोर बैठने वाले
इलाके में हो, व्यक्ति को जहां तक संभव हो बैठने से
परहेज करना चाहिए। कारण जानने के लिए बैठने और
बिस्तर समर्थन प्रणाली का पूरा मुआइना करें। ढेर
सारा तरल लें, आराम करें और संतुलित एवं पोषक
आहार लें। त्वचा को साफ और
सूखा रखना नहीं भूलें। और अपनी त्वचा का बार-
बार मुआइना करें। अगर कुछ दिनों में प्रेशर सोर ठीक
नहीं हुआ या और बिगड़ गया तो अपने डाक्टर से
संपर्क करें।
चरण 2: प्रेशर सोर ने कोई फफोला या खुरंड
बना दिया है और/या त्वचा की सतह में उसका मुंह
खुलना शुरू हो गया हो। संभवत: कुछ मवाद
भी निकलने लगा हो। इसका मतलब है कि उसके नीचे
के ऊतक के मरने की शुरूआत हो गई है। अगतर तुरंत दाब
नहीं हटाया गया और त्वचा क्षेत्र पर ध्यान
नहीं दिया गया तो प्रेशर सोर बहुत तेजी के साथ
एक खतरनाक स्तर तक बढ़ जाएगा जहां संक्रमण
हड्डी पर हमला कर सकता है और आपके स्वास्थ्य के
लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
देखरेख: क्षेत्र से तमाम दाब हटा दें। अपने डाक्टर से
संपर्क करें। घाव को साफ और शुष्क रखें और
त्वचा का बार-बार मुआइना करें। स्वास्थ्य
सेवा प्रदाता के निर्देशों का पालन करें जिसमें घाव
भरने के लिए विशेष रूप से प्रभावित क्षेत्र को नमक
घोल से साफ करने और विशेष पट्टी बांधने
को कहा जाता है।
चरण 3: प्रेशर सोर के इस चरण तक मृत ऊतक में छिद्र
या अल्सर बन जाता है। क्षत ऊतक सबक्युटेनस
या त्वचा ऊतक के तीसरे तह तक पहुंच जाता है और
उसके बाद हड्डी तक भी पहुंच सकता है।
देखरेख: चरण 1 और 2 के निर्देशों का ही पालन करें।
आम तौर पर इस चरण में विशेषज्ञता वाले इलाज
की जरूरत पड़ती है। इसमें अकसर डिब्राइडमेंट
या आपरेशन से मृत ऊतकों को निकालने और घाव से
बाहरी पदार्थ हटाने की आवश्यकता पड़ती है। इसके
बाद की देखरेख में विशेष पैकिंग एजेंट, मेडिकेटेड
क्रीम, एंटी बायटिक्स दवाएं और दाब हटाने के लिए
और भी विशेष प्रकार के बैठने या सोन की सतह
शामिल हैं।
चरण 4: यह प्रेशर सोर का सबसे खराब चरण है।
नुकसान मांसपेशियों तक और शायद हड्डियों तक
भी पहुंच चुका है। ड्रेनेज लगभग हमेशा उपस्थित
रहता है। गंभीर मामलों में अत्यधिक मवाद
हो सकता है।
देखरेख: अगर आपको बुखार है, देखें
कि हरा या पीला मवाद तो नहीं निकल रहा है और
घाव गरम है। आपको संक्रमण हो सकता है। जब
भी किसी प्रेशर सोर में कोई संक्रमण बनता है,
इर्दगिर्द के तमाम ऊतकों के भी संक्रमित होने
का खतरा हो जाता है। अगर ऐसा होता है
तो सेप्सिस (रक्त में जहर फैलने का एक प्रकार)
की आशंका हो जाती है। इलाज नहीं होने पर यह
मारक हो जाता है।
चौथे चरण के त्वचा सोर का मतलब कई हफ्ते तक
अस्पताल में इलाज है जिसके बाद हफ्तों तक बिस्तर
पर आराम करना होता है। अकसर उन्नत चरण में प्रेशर
सोर में आपरेशन या त्वचा के प्रतिरोपण (अकसर पैर से
त्वचा ली जाती है और प्रेशर सोर के इलाके में उसे
सी दिया जाता है) की आवश्यकता पड़ती है। इन
आपरेशनों में 100,000 डालर या उससे ज्यादे का खर्च
आ सकता है रोजमर्रा के जीवन से लंबे समय तक अलग
रहना पड़ सकता है।
डेक्यट्रानोमर मनके या नए हाइड्रोफिलिक
पोलीमर के चलते पुराने अल्सर में आपरेशन से पूरी तरह
बचा जा सकता है। ये बिना आपरेशन के जख्म भरने
की रफ्तार तेज करते हैं। वास्तव में, हाइड्रोफिलिक
जेल जैसे ढेर सारे टॉपिकल एजेंट और हाइड्रोकॉलाइड
ड्रेसिंग जैसी नई ड्रेसिंग उपलब्ध होती जा रही हैं
जो प्रेशर सोर के ठीक होने की प्रक्रिया में मदद
और उसकी गति तेज करती हैं।
इसके अतिरिक्त, कुछ नए तरह के इलाज हैं
जिनका व्यापक उपयोग नहीं हो रहा है, लेकिन
जिन्हें बहुत अच्छी सफलता मिली है। उनमें से एक
शून्यता की मदद से बंद करने का उपचार
कहा जाता है। वायु-रोधी या एयर टाइट फोम
ड्रेसिंग और वैकुअम पंप का उपयोग किया जाता है
जो घाव के इर्दगिर्द नकारात्मक दाब सृजित
करता है। यह रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और घाव
को भरने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक अन्य
संभावना है जिसे इलेक्ट्रोथेरापी कहते हैं। इस तरीके
में, बिजली की एक बहुत ही सुक्षम धारा का प्रयोग
घाव भरने की गति तेज करने में किया जाता है।
चूंकि यह प्रेशर सोर का नया तरीका है,
आपको सही उपकरणों वाले प्रशिक्षित
लोगों की खोज करनी पड़ सकती है।
बुनियादी इलाज:
दाब राहत
घाव को सैलाइन घोल से सींचना
वजन को बार बार बदलना
विशेष सीट कुशन औरबिस्तर
ऊतक हटाने के लिए उपयुक्त व्हर्लपूल
टॉपिकल एंटीबायोटिक मलहम
जेल-फोम पट्टियां
हाइड्रोकॉलोयड पट्टियां
एंटीबायोटिक
डिब्रीडमेंट
त्वचा प्रतिरोपण
आपरेशन से सफाई
वैकुअम असिस्टेड क्लोजर थेरापी
इलेक्ट्रोथेरापी
यह ध्यान देना अहम है कि त्वचा के नियमित मुआइने
और सही उपकरण से त्वचा समस्याओं से लगभग
बिल्कुल बचा जा सकता है। विशेष बिस्तर, तोशक,
या सीट कुशन समेत दाब हटाने में मदद करने
वाली विविध सतहें बिस्तर पर या किसी कुर्सी पर
आपके शरीर को समर्थन देने के लिए उपलब्ध हैं।
बचाव
बचाव की पहली लाइन अपनी त्वचा की देखरेख के
प्रति जवाबदेह होना है। प्रेशर सोर के खतरों वाले
लोगों को त्वाचा के मुआइना का तरीका तैयार
करना चाहिए जिसपर रोजाना अमल
करना चाहिए। सीमित क्षमता वाले या बिस्तर तक
सीमित लोगों को केयरटेकर रोजाना मुआइना में
सहायता करें; व्हीलचेयर पर रहने वाले बच्चों के
अभिभावकों को उनकी त्वचा का मुआइना करना चाहिए।
नियमित रूप से समर्थन
सतहों का मुआइना करना भी यह सुनिश्चित करने के
लिए जरूरी है कि वे अच्छी हालत में हैं। इसका मतलब
अपने व्हीलचेयर, टायलेट, ऑटो-ट्रांसपोर्ट की सीट
और ऐसी तमाम सीट कुशन का मुआइना करना जिसे
दिन में आप इस्तेमाल करते हों। बाजार की सीट
प्रणालियों और कुशन के बारे में जानकारी पाने के
लिए किसी सीटिंग विशेषज्ञ से बात करें। इसके
अतिरिक्त, दाब से मुक्ति दिलाने वाली सोने
की सतहें हैं जो प्रेशर सोर से वजन हटा देती हैं।
प्रेशर सोर को जटिलताओं से बचाने के लिए भरपूर
विटामिन और खणिज वाले भोजन लेना आवश्यक है।
स्वस्थ भोजन त्वचा में दिखेगा; स्वस्थ
त्वचा रोजाना पेश आने वाले दाबों और
तनावों का ज्यादा अच्छे ढंग से सामना कर
सकती हैं। साथ ही, अगर कोई त्वचा क्षति हुई है,
रक्त में पोषक तत्वों की स्वस्थ आपूर्ति बहुत तेजी से
ठीक करेगी। प्रोटीन और एमिनो एसिड शरीर
को त्वचा, मांसपेशियां और हड्डियों को मजबूत
रखने में मदद करते हैं। और विटामिन सी तथा ई जैसे
विटामिन मरम्मत में त्वचा की मदद करते हैं।
व्हीलचेयर वाले लोगों को नियमित रूप से
मुद्रा बदलने की जरूरत पड़ती है। अगर कोई शरीर के
ऊपरी हिस्से का उपयोग करता है तो उसे अपने शरीर
को कुछ सेकंड के लिए व्हीलचेयर की सीट से
उठाना चाहिए। यह बैठने की जगह से
लगी त्वचा को दाब से कुछ देर के लिए
छुटकारा मिल जाता है जिसकी उसको बहुत जरूरत
होती है।
जिन लोगों के शरीर के ऊपरी हिस्से में
गतिशीलता नहीं होती है, उन्हें सहायता की जरूरत
पड़ती है। कुछ लोगों को व्हीलचेयर में टिल्ट
का उपयोग करने की जरूरत पड़ सकती है (पूरी सीट
टिल्ट कर दी जाती है लेकिन बैठने
की मुद्रा वही बनी रहती है)।
बिस्तर में पड़े व्यक्ति को हर एक या दो घंटे के बाद
हिलाना डुलाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के
लिए अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है
कि व्यक्ति को हिलाने-डुलाने में उसकी त्वचा में
खिंचाव नहीं आए।
बचाव के उपाय:
त्वचा अच्छी खुराक, बढि़या साफ-सफाई और
नियमित दाब मुक्ति से स्वस्थ रहती है। प्रथम,
त्वचा को साफ और सुखी रखें। पसीने या शरीर से
होने वाले रिसाव से गीली त्वचा के क्षतिग्रस्त
होने की आशंका ज्यादा होती है।
दिन भर कम से कम हर दो घंटे पर मुद्रा बदल कर दाब से
नियमित छुटकारा पाएं।
दिन में न्यूनतम एक बार अपनी त्वचा का मुआइना करें
और संवेदनशील इलाके पर ज्यादा ध्यान दें।
प्रोटीन, विटामिन और खणिजों से भरपूर संतुलित
आहार लें।
टूट-फूट जानने के लिए अपनी समर्थन सतहों और
उपकरणों की नियमित जांच करें।
धूम्रपान नहीं करें। यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित
करता है और त्वचा को पोषकों की आपूर्ति बाधित
करता है। अनुसंधान से दिखा है कि धूम्रपान करने
वालों को त्वचा सोर ज्यादा होते हैं।
रोजाना कसरत आपकी त्वचा की ताकत और समग्र
सेहत बढ़ाती है।
बिस्तर और कपड़े बराबर बदलें।
त्वचा साफ करने के लिए गुनगुने पानी और हल्के
साबुन का उपयोग करें। गरम पानी तकलीफ
या नुकसान पहुंचा सकता है।
यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालने करें और आद्रता कम
करें।
हड्डी वाले किसी भी इलाके में 'हॉट स्पॉट' पर
सीधे दबाव डालने से परहेज करें।
सुरक्षा पैडिंग और दाब घटाने में मदद करने वाले
तकिये जैसी चीजों का उपयोग करें।
ढेर सारा तरल लें। सूख रहा घाव या सोर हर दिन एक
क्वार्ट से ज्यादा पानी छोड़ सकता है।
रोजाना 8-12 कप
पानी पीना ज्यादा नहीं होगा। नोट: बीयर और
शराब नहीं गिनी जाती। वास्तव में अल्कोहल से
आप पानी खोते है या डिहाइड्रेटेड बनते हैं।
वजन में तेज इजाफा या कमी से बचें। यह सुनिश्चित
करें कि अगर आप अपने वजन या आकार में
बड़ा परिवर्तन कर रहे हैं तो अपने उपकरण में आवश्यक
फेरबदल कर लें।
वजन पर भी नजर रखें। बहुत दुबला होने से
आपकी हड्डी और त्वचा के बीच की पैडिंग घटती है
और हल्के से दाब से भी त्वचा क्षतिग्रस्त
हो सकती है। बहुत वजनी होने का भी खतरा है।
ज्यादा वजन का मतलब ज्यादा पैडिंग तो है, लेकिन
इसका मतलब ज्यादा दाब भी है।
प्रेशर सोर और उससे बचाव पर जानकारी हासिल
करना जारी रखें।
सक्रिय हों और जीवन का आनंद लें।

Thursday, 12 June 2014

नींबू पानी पीये वजन घटाए....

रोज सुबह नींबू
पानी का सेवन आपको काफी लाभ पहुंचाता है। यह
ना सिर्फ आपको तरोताजा रखता है बल्कि इसके ऐसे कई
फायदे हैं जो आपके लिए बेहतर हैं जिन्हें जानने के बाद
आप अपने दिन की शुरुआत नींबू पानी के साथ
ही करना चाहेंगे। नींबू बहुत ही गुणकारी है। कई रूपों में
यह हमारे स्वास्थ्य के लिए फयदेमंद साबित होता है। नींबू
विभिन्न विटामिन्स और मिनरल्स
का खजाना माना जाता है। इसमें पानी, प्रोटीन,
कारबोहाइड्रेट्स और शर्करा मौजूद होती है। नींबू
विटामिन सी का बेहतर स्रोत है। इसमें विभिन्न विटामिन्स
जैसे थियामिन, रिबोफ्लोविन, नियासिन, विटामिन बी- 6,
फोलेट और विटामिन-ई की थोड़ी मात्रा मौजूद रहती है।
नींबू में कई गुण भी होते हैं। लेकिन, इन तमाम खूबियों के
साथ ही नींबू में एक सबसे बड़ा गुण होता है। वजन
को नियंत्रित करना। नींबू पानी (बिना शक्कर)
का पूरी तरह से कैलोरी फ्री होता है। कम मात्रा में
पानी पीने से शरीर में वसा ऊर्जा के रूप में जलने के बजाय
एकत्रित होनी शुरू हो जाती है। इसका कारण है शरीर में
मौजूद वसा का ऊर्जा में परिवर्तन आपके शरीर में मौजूद
पानी की मात्रा पर निर्भर करता है। जितना अधिक
पानी आप पीएंगे, उतनी ही अधिक वसा आप खर्च कर
पाएंगे, और नींबू पानी तो सोने पर सुहागा वाली बात है।
सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस डालकर
पीया जाए तो यह वजन घटाने में मददगार साबित
होता है। आप चाहे तो दिन में कई बार इसका सेवन कर
सकते है। हर एक घंटे में एक गिलास पानी का सेवन आपके
शरीर के लिए चमत्कार कर सकता है। नींबू विटामिन सी से
भरपूर होता है और यह आहार शरीर का मैटाबॉलिज्म
बढ़ाता है और वजन कम करता है। रोज सुबह खाली पेट
गरम पानी, नींबू और शहद पीने से मोटापा कम होता है।
नींबू आपके शरीर के विजातीय तत्वों को बाहर निकाल
फेंकता है। नींबू ब्लड प्रेशर और तनाव को कम करता है।
त्वचा को स्वस्थ बनाने के साथ ही लिवर के लिए भी यह
बेहतर होता है। पाचन क्रिया,वजन संतुलित करने और कई
तरह के कैंसर से बचाव करने में नींबू पानी मददगार
होता है।
@बन्टी चन्र्दसेन ९७७०११९२९४

Friday, 2 May 2014

गर्भावस्था की योजना

परिचय-
जब भी कोई भी स्त्री गर्भधारण करने का विचार करती है तो सबसे पहले उसे डॉक्टर से अपने स्वास्थ्य की जांच करवा लेनी चाहिए और यह मालूम करना चाहिए की क्या वह पूरी तरह स्वस्थ है और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है।

डॉक्टर का चयन-

स्त्री को गर्भावस्था के समय के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर एक ऐसे डॉक्टर को चुनना चाहिए जो गर्भावस्था से बच्चे के जन्म के बाद तक उसकी सही तरह से देख-भाल कर सके। अधिकांश स्त्रियां गर्भावस्था के समय इधर-उधर दाइयों को दिखाती रहती हैं परन्तु बच्चे के जन्म के समय जब कोई समस्या आ जाती है तो उन्हें अस्पतालों या डॉक्टरों के क्लीनिकों में भागदौड़ करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकती है।

गर्भावस्था से बच्चे के जन्म तक देखभाल के लिए डॉक्टर के चुनाव सम्बंधी प्रमुख बातें-

डॉक्टर का स्त्री रोग विशेषज्ञ होना जरूरी है। इसके अलावा उसे अपने कार्यों के बारे मे कितना एक्सपीरियंस है इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रसूति गृह नजदीक होना चाहिए ताकि बच्चे के जन्म के समय तुरन्त वहां पहुंचा जा सके।
डॉक्टर का प्रसूति गृह में 24 घंटों मिलना जरूरी होता है उनकी अनुपस्थिति पर डॉक्टरों की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रसूति गृह का माहौल पारिवारिक होना चाहिए।
अगर स्त्री को कोई अन्य रोग जैसे- सांस लेने में अवरोध या अन्य कठिनाई हो तो उसे गर्भावस्था के समय या पहले उस रोग से विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
डॉक्टर के बोल-चाल की भाषा आपके अनुकूल होनी चाहिए।
डॉक्टर के यहां अल्ट्रासाउन्ड, रक्त, मूत्र आदि की जांच की पूरी तैयारी होनी चाहिए। इसके साथ दर्द रहित बच्चे का जन्म, आपरेशन की व्यवस्था और प्रसूति के बाद बच्चे की देख-रेख के लिए नर्सरी और बालरोग विशेषज्ञ की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
डॉक्टर की फीस और प्रसव के दौरान होने वाले खर्च आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
आपातकाल की स्थिति में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
प्रसव के समय अधिक रक्तस्राव होने से स्त्री को ब्लड की आवश्यकता पड़ सकती है। इसलिए ब्लड बैंक कहां और कितनी दूर है इस बारे में प्रसूता महिला के पति या अन्य सगे-संबन्धियों को मालूम होना चाहिए।
प्रसूति गृह का स्वास्थ्य केन्द्र से मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य होता है।
जरूरत पड़ने पर दवाइयों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
गर्भावस्था के लिए शरीर की तैयारी-

यदि आप गर्भधारण का विचार कर रहे हैं तो कुछ महीने पहले से ही शरीर की तैयारी कर लेनी चाहिए-

सिगरेट, शराब आदि के प्रयोग से गर्भ में बच्चे पर बुरा असर पड़ता है जिससे बच्चे का बढ़ना कम हो जाता है। शराब से बच्चे का शरीर और मस्तिष्क क्षीण हो जाता है। गर्भधारण के बाद पहले या छह सप्ताह का समय बच्चे की शारीरिक रचना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए इस प्रकार के पदार्थों का सेवन करने से बच्चे पर कुप्रभाव पड़ता है।
गर्भधारण करने से पहले स्त्री को अपने रक्त की जांच करवा लेनी चाहिए ताकि अगर उसके शरीर में रक्त की कमी हो तो पहले ही पता चल जाए।
गर्भधारण करने से पहले स्त्री के लिए सन्तुलित भोजन लेना और अपने शरीर के वजन को सदैव बनाये रखना अनिवार्य होता है। इसके लिए भोजन में अधिक मात्रा में हरी सब्जियों का प्रयोग, सलाद तथा सभी प्रकार की दालें, दूध, पनीर, और फलों को प्रयोग करना लाभदायक होता है। मांसाहारी स्त्रियां अण्डे और मांस आदि का प्रयोग भी कर सकती हैं।
स्त्री को अपने शरीर को स्वस्थ, सुडौल और चुस्त बनाये रखने के लिए सुबह हल्का व्यायाम करना चाहिए और कुछ दूरी तक टहलना चाहिए। सुबह के समय टहलने से दिनभर के कार्य में थकान का अनुभव नहीं होता है।
यदि स्त्री का रक्त आर.एच. निगेटिव है तो उसको एन्टी-डी का इंजेक्शन बच्चा होने के बाद जरूर लगवाना चाहिए ताकि अगले बच्चे को कोई हानि न हो। यदि स्त्री का इससे पहले भी गर्भपात हो चुका हो तो यह इंजेक्शन जरूरी होता है। अन्यथा दूसरी बार भी उसका गर्भपात हो सकता है। ऐसी अवस्था में गर्भधारण करने पर उसके शरीर का पूरा रक्त भी बदलना पड़ सकता है।
गर्भधारण से पहले स्त्री को अपने ब्लडप्रेशर, शरीर पर सूजन, भोजन और अपने वजन का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
गर्भधारण से पहले पति के रक्त की जांच करवाना भी जरूरी होता है।
गर्भधारण से पहले सिगरेट, शराब, कोला, काफी तथा नशे की गोलियों आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए।
गर्भधारण करने की इच्छुक महिलाओं को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए तथा परिवार नियोजन की दवाइयों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
गर्भधारण के बाद प्रत्येक सप्ताह डॉक्टर से जांच करवाते रहना चाहिए।
गर्भधारण से पहले स्त्री को मानसिक शान्ति के लिए भगवान का ध्यान और पूजा-अर्चना आदि करनी चाहिए।
स्त्री को अपने पारिवारिक वातावरण को सुखशान्ति पूर्वक बनाये रखना चाहिए।
स्त्री को 21 वर्ष से 29 वर्ष की उम्र में ही गर्भधारण करना चाहिए। इससे पहले या बाद में गर्भधारण करना मां और बच्चे दोनों के जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।
गर्भाशय में बच्चे का निर्माण माहवारी के 12-13 दिन के बाद से सम्भव होता है। इसलिए स्त्री के शरीर की पूरी जांच समय से पहले हो जानी चाहिए।
जननिक परामर्श-

यदि किसी के परिवार में ऐसे बच्चे का जन्म हुआ हो जिसकी शारीरिक बनावट में त्रुटि, खून में कमी, आनुवंशिक बीमारी या जन्म से ही कोई कमी हो तो ऐसी अवस्था में जननिक परामर्श अवश्य ही लेना चाहिए। इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है तथा आने वाले बच्चे को रोग से मुक्त किया जा सकता है।
गभधारण के लिए स्त्री की आयु 35 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यदि स्त्री को दो या दो बार से अधिक बार गर्भपात हो चुका हो तो उसे गर्भधारण से पहले जननिक परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए।
गर्भधारण से पूर्व यदि स्त्री का स्वास्थ्य ठीक न हो तो आने वाले बच्चे को हानि हो सकती है जैसे- शराब, तम्बाकू, नशीले पदार्थ कोई रोग या एक्स-रे की किरणों से हानि हो सकती है। माहवारी होने के बाद 10 दिन बाद एक्स-रे या किसी हानिकारक औषधि का प्रयोग बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। यह तभी प्रयोग करना चाहिए जब कोई अनिवार्य कारण हो।
यदि प्रथम बार मे किसी जांच में कोई त्रुटि आ गई हो तो फिर जननिक परामर्श अवश्य लेकर अन्य दूसरी जांच समय पर करवा लेनी चाहिए।
यदि जननिक परामर्श द्वारा रोग अधिक और हानिकारक है तो बच्चे को जन्म न देना ही ठीक होगा।
जननिक परामर्श लेने से यह मालूम चल जाता है कि होने वाले बच्चे में क्या कमियां हैं। जानकारी होने पर उसकी उचित चिकित्सा की जा सकती है।
हमारे देश में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं भिन्न-भिन्न रोगों से ग्रस्त रहती हैं। ऐसी दशा में जननिक परामर्श आवश्यक होता है।

Monday, 7 April 2014

भागती-दौड़ती जिंदगी में इंसान जब रात में थक कर सोने की कोशिश करता है तो सकून भरी नींद भी उसे नसीब नहीं होती है। जिसके कारण उसकी रात केवल करवटें बदलते ही बीतती है। इस कारण इंसान हाईब्लडप्रेशर और चिड़चिड़ेपन का शिकार हो जाता है। यही नहीं उसे सिरदर्द और मोटापे का भी दंश झेलना पड़ता है। इस कारण वो झल्लाकर डॉक्टरों के पास पहुंच जाता है और भारी-भरकम पैसा अपनी दवाईयों पर खर्च करता है,लेकिन उसके बावजूद भी वो अपनी समस्याओं से पूरी तरह निजात नहीं पाता है।

लेकिन अगर वही इंसान अपनी बिजी लाईफस्टाइल में थोड़ा सा परिवर्तन कर ले, तो यकीन मानिए उसे डॉक्टर के पास समय और ना ही दवाइयों पर पैसे खर्च करने पड़ेंगे। यहां हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिन पर अगर आप अमल करेंगे तो आप पायेंगे बहुत अच्छी नींद और सेहतमंद जिंदगी।

1. सोने के लिए आप हमेशा ढीले-ढाले कपड़ों का प्रयोग कीजिये।
2. सोने के लिए कमरे का तापमान सामान्य होना चाहिए।
3. सोने से करीब दो घंटे पहले रात का भोजन करना चाहिए। कभी भी खाना खाकर तुरंत नहीं सोना चाहिए और ना ही भारी-भरकम भोजन करना चाहिए, हमेशा रात का खाना हल्का होना चाहिए।
4. रात को सोने से पहले गुनगुने दूध या फिर हलके गर्म दूध का सेवन करना अच्छा होता है।
5. आप अपनी दिनचर्या में शारीरिक व्यायाम को शामिल करें क्योंकि अक्सर आप ऑफिस में कुर्सियों पर लगातार बैठकर काम करते हैं,जिससे आपका दिमाग तो लगातार थकता है,लेकिन शरीर का निचला हिस्सा सुस्‍त अवस्‍था में पड़ जाता है इसलिए सोते समय आपको पीठ दर्द या कमर दर्द का एहसास होता है, जो आपकी नींद को दूर भगा देता है। व्यायाम करने से यह समस्या दूर हो जायेगी।
6. कमरे में सोते समय हल्की रोशनी होनी चाहिए।
7. सोने वाला कमरा साफ सुथरा होना चाहिए।
8. कभी भी सोने से पहले शराब और सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए।
9. कभी भी मुंह ढककर नहीं सोना चाहिए।
10. हो सके तो खाना खाने के बाद आप 10-15 मिनट टहलें, इससे भोजन को पचने में मदद मिलेगी और आपको नींद अच्छी आयेगी।
11. हो सके तो सोने से पहले आप अपनी कोई मनपसंद किताब पढ़ें, इससे भी नींद अच्छी आती है।
12. और अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात..वो यह कि सोने से पहले आप अपनी सारी चिंताओं के छोड़ दें और बिल्कुल शांत मन से बिस्तर पर जायें।

Monday, 10 March 2014

Summer Season Tips

आया  मौसम  गर्मी ,लू का…… 

दोस्तों ,गर्मी का महीना आ गया है और सूरज अपनी प्रखर किरणों की तीव्रता से संसार के जलियांश (स्नेह )को सुखा कर वायु में रूखापन और ताप बढ़ा कर मनुष्यों के शरीर के ताप की भी वृद्धि कर रहा है!
गर्मी में होने वाले आम रोग –गर्मी में लापरवाही के कारण सरीर में निर्जलीकरण (dehydration),लू लगना, चक्कर आना ,घबराहट होना ,नकसीर आना, उलटी-दस्त, sun-burn,घमोरिया जैसी कई diseases हो जाती हैं.
इन बीमारियों के होने में प्रमुख कारण-
  • गर्मी के मोसम में खुले शरीर ,नंगे सर ,नंगे पाँव धुप में चलना ,
  •  तेज गर्मी में घर  से खाली पेट या प्यासा बाहर जाना,
  • कूलर या AC से निकल कर तुरंत धुप में जाना ,
  • बाहर धुप से आकर तुरंत ठंडा पानी पीना ,सीधे कूलर या AC में बेठना ,
  • तेज मिर्च-मसाले,बहुत गर्म खाना ,चाय ,शराब इत्यादि का सेवन ज्यादा करना ,
  • सूती और ढीले कपड़ो की जगह सिंथेटिक और कसे हुए कपडे पहनना
इत्यादि कारण गर्मी से होने वाले रोगों को पैदा कर सकते हैं
हम कुछ छोटी-छोटी किन्तु महत्त्वपूर्ण बातो का ध्यान रख कर ,इन सबसे बचे रह कर ,गर्मी का आनंद ले सकते हैं!
उपचार से बचाव  बेहतर होता है,है ना?
तो चलिए हम कुछ वचाव के तरीके जानते हैं -
  • गर्मी में सूरज अपनी प्रखर किरणों से जगत के स्नेह को पीता रहता है,इसलिए गर्मी में मधुर(मीठा) ,शीतल(ठंडा) ,द्रव (liquid)तथा इस्निग्धा  खान-पान हितकर होता है!
  • गर्मी में जब भी घर  से निकले ,कुछ खा कर और पानी पी कर ही निकले ,खाली पेट नहीं
  • गर्मी में ज्यादा भारी (garistha),बासा भोजन नहीं करे,क्योंकि गर्मी में सरीर की जठराग्नि मंद रहती है ,इसलिए वह भारी खाना पूरी तरह पचा नहीं पाती और जरुरत से ज्यादा खाने या भारी खाना खाने से उलटी-दस्त की शिकायत हो सकती है
  • गर्मी में सूती और हलके रंग के कपडे पहनने चाहिये
  • चेहरा और सर रुमाल या साफी से ढक कर निकलना चाहिये
  • प्याज का सेवन तथा जेब में प्याज रखना चाहिये
  • बाजारू ठंडी चीजे नहीं बल्कि घर की बनी ठंडी चीजो का सेवन करना चाहिये
  • ठंडा मतलब आम(केरी) का पना,  खस,चन्दन गुलाब फालसा संतरा  का सरबत ,ठंडाई सत्तू, दही की लस्सी,मट्ठा,गुलकंद का सेवन करना चाहिये
  • इनके अलावा लोकी ,ककड़ी ,खीरा, तोरे,पालक,पुदीना ,नीबू ,तरबूज आदि का सेवन अधिक करना चाहिये
  • शीतल पानी का सेवन ,2 से 3 लीटर रोजाना
  • अगर आप योग के जानकार हैं ,तो सीत्कारी ,शीतली तथा चन्द्र भेदन प्राणायाम  एवं शवासन का अभ्यास कीजिये ये शारीर में शीतलता का संचार करते हैं

तो दोस्तों इन कुछ छोटी छोटी बातो का ध्यान रख कर गर्मी की गर्मी से हम स्वयं को बचा सकते हैं!
Bunty Chandrasen Kawardha

The 7 Habits of Happy People

The 7 Habits of Happy People

खुश  रहने  वाले  लोगों  की  7 आदतें 

Friends, खुश  रहना  मनुष्य  का जन्मजात  स्वाभाव  होता  है . आखिर  एक  छोटा  बच्चा  अक्सर  खुश  क्यों  रहता  है ? क्यों  हम  कहते  हैं  कि  childhood days life के  best days होते  हैं ? क्योंकि  हम  पैदाईशी  HAPPY होते  हैं ;  पर  जैसे -जैसे  हम  बड़े  होते  हैं  हमारा  environment, हमरा समाज  हमारे  अन्दर  impurity घोलना  शुरू  कर  देता  है ….और  धीरे -धीरे  impurity का  level इतना  बढ़  जाता  है  कि  happiness का  natural state sadness के  natural state में  बदलने  लगता  है .
पर  ऐसा  सबके  साथ  नहीं  होता  है  दुनिया  में  ऐसे बहुत से  लोग  हैं  जो  अपनी  Happy रहने  की  natural state को  बचाए  रख  पाते  हैं  और  Life-time खुशहाल  रहते  हैं .
 तो  क्या  ऐसे  व्यक्ति  हमेशा  खुश  रहते  हैं ?  नहीं , औरों  की  तरह  उनके  जीवन  में  भी  दुःख-सुख  का  आना  जाना  लगा  रहता  है ,  पर  आम तौर  पर  ऐसे  व्यक्ति  व्यर्थ की   चिंता  में  नहीं  पड़ते और  अक्सर  हँसते -मुस्कुराते  और  खुश  रहते  हैं .
तो  सवाल  ये  उठता  है  कि  जब  ये  लोग  खुश  रह  सकते  हैं  तो बाकी  सब  क्यों  नहीं ?आखिर उनकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जो  उन्हें दुनिया भर की टेंशन के बीच भी खुशहाल बनाये रखती हैं ? आज  इस  लेख  के  जरिये  मैं  आपके  साथ  खुशहाल लोगों की 7 आदतें share करने जा रहा हूँ  जो  शायद  आपको  भी  खुश  रहने  में  मदद  करें .तो  आइये  जानते  हैं उन सात आदतों को : 
Habit 1: खुश  रहने  वाले  अच्छाई  खोजते  हैं  बुराई  नहीं :
Human beings की  natural tendency होती  है  कि  वो  negativity को  जल्दी  catch करते  हैं . Psychologists इस  tendency को  “Negativity bias” कहते  हैं .  अधिकतर  लोग  दूसरों  में  जो कमी  होती  है  उसे  जल्दी देख  लेते  हैं  और  अच्छाई  की  तरफ  उतना  ध्यान  नहीं  देते  पर  खुश  रहने  वाले  तो  हर एक चीज  में , हर एक  situation में  अच्छाई  खोजते  हैं , वो  ये  मानते  हैं  कि  जो  होता  है  अच्छा  होता  है .  किसी  भी  व्यक्ति  में  अच्छाई  देखना  बहुत  आसान  है ,बस  आपको  खुद  से  एक  प्रश्न  करना  है , कि , “ आखिर  क्यों  यह  व्यक्ति  अच्छा  है ?” , और  यकीन  जानिये  आपका  मस्तिष्क  आपको  ऐसी  कई  अनुभव और  बातें  गिना  देगा  की  आप  उस  व्यक्ति  में  अच्छाई  दिखने  लगेगी .
एक  बात  और , आपको  अच्छाई  सिर्फ  लोगों  में  ही  नहीं  खोजनी  है , बल्कि  हर एक  situation में  आपको  positive रहना  है  और  उसमे  क्या  अच्छा  है  ये  देखना  है . For example , अगर  आप  किसी  job interview में  select नहीं  हुए  तो  आपको  ये  सोचना  चाहिए  कि  शायद  भागवान  ने  आपके  लिए  उससे  भी  अच्छी  job रखी  है जो आपको देर-सबेर  मिलेगी, और आप किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ भी सकते हैं, वो भी आपको यही बताएगा .
Habit 2: खुश  रहने  वाले  माफ़  करना  जानते  हैं  और  माफ़ी  माँगना  भी :
हर  किसी  का  अपना -अपना  ego होता  है , जो  जाने -अनजाने  औरों  द्वारा  hurt हो  सकता  है . पर  खुश  रहने  वाले  छोटी -मोती  बातों को  दिल  से  नहीं  लगाते  वो   माफ़  करना  जानते  हैं , सिर्फ  दूसरों  को  नहीं  बल्कि  खुद  को  भी .
और  इसके  उलट  यदि  ऐसे  लोगों  से  कोई  गलती  हो  जाती  है , तो  वो  माफ़ी  मांगने  से  भी  नहीं  कतराते . वो  जानते  हैं  कि  व्यर्थ  का  ego उनकी  life को  complex बनाएगा  इसलिए  वो  “Sorry” बोलने  में  कभी  कंजूसी  नहीं  करते . मुझसे  भी जब गलती होती है तो मैं  कभी  उसे  सही  ठहराने  की  कोशिश  नहीं करता  और  उसे  स्वीकार  कर  के  क्षमा  मांग  लेता  हूँ .
माफ़  करना  और  माफ़ी  माँगना  आपके  दिमाग  को  हल्का  करता  है , आपको  बेकार   की  उलझन  और  परेशान  करने  वाली  thoughts से  बचाता  है , और  as a result आप  खुश  रहते  हैं . शिखा  जी  द्वारा  लिखा  गया  एक  बेहेतरीन  लेख “क्षमा  करना  क्यों  है  ज़रूरी ?” मैं  आपके साथ  पहले  ही  share कर  चुका  हूँ . यह  लेख   forgiveness के  बारे  में  आपकी   समझ  को  बेहतर  बना  सकता  है , 
Habit 3: खुश  रहने  वाले  लोग  अपने  चारो  तरफ  एक  strong support system develop करते  हैं :
ये   support system दो  pillars पे  टिका  होता  है  Family and Friends( F&F). ज़िन्दगी  में  खुश  रहने  के  लिए   F&F का  बहुत  बड़ा  योगदान  होता  है . भले  आपके  पास  दुनिया  भर  की  दौलत  हो  , शोहरत  हो  लेकिन  अगर  F&F नहीं  है  तो  आप  ज्यादा  समय  तक  खुश  नहीं  रह  पायेंगे .
हो  सकता  है  ये  आपको  बड़ी  obvious सी  बात  लगे , ये  लगे  की  आपके  पास  भी  बड़े  अच्छे  दोस्त   हैं  और  बहुत  प्यार  करने  वाला  परिवार  है , लेकिन  इस  पर  थोडा  गंभीरता  से  सोचिये . आपके  पास  ऐसे  कितने   friends हैं , जिन्हें  आप  बिना  किसी  झिझक  के  रात  के  3 बजे  भी  phone कर  के  उठा सकें  या कभी भी financial help ले सकें?
Family and friends को  कभी  भी for granted नहीं  लेना  चाहिए , एक  strong relationship बनाने  के  लिए  आपको  अपने  हितों  से  ऊपर  उठ  कर  देखना  होता  है . , दूसरे  की  care करनी  होती  है , और  उन्हें   genuinely like करना  होता  है . जितना  हो  सके  अपने  रिश्तों  को  बेहतर  बनाएं  , छोटी -छोटी  चीजें  जैसे  कि  Birthday wish करना, बधाई  देना , सच्ची  प्रशंशा  करना , मुस्कुराते  हुए  मिलना , गर्मजोशी  से  हाथ  मिलाना , गले  लगना  आपके  संबंधों  को  प्रगाढ़  बनता  है . और  जब  आप  ऐसा  करते  हैं  तो  बदले  में  आपको  भी  वही  मिलता  है और  आपकी  ज़िन्दगी  को  खुशहाल  बनाता  है .
Habit 4: खुश  रहने  वाले  अपने  मन  का  काम  करते  हैं  या  जो  काम  करते  हैं  उसमे  मन  लगाते हैं :
यदि  आप  अपने  interest का,  अपने  मन  का  काम  करते  हैं  तो  definitely वो  आपके  Happiness Quotient को  बढ़ाएगा ,  लेकिन  ज्यादातर  लोग  इतने  lucky नहीं  होते , उन्हें  ऐसी  job या  business में  लगना   पड़ता  है  जो  उनके  interest के  हिसाब  से  नहीं  होतीं . पर  खुश  रहने  वाले  लोग  जो  काम  करते  हैं  उसी  में  अपना  मन  लगा  लेते  हैं , भले  ही  personally वो  अपना  पसंदीदा  काम   पाने  का  प्रयास  करते  रहे .
मैंने  कई  बार  लोगों  को जहाँ job करते हैं उस  company की  बुराई  करते  सुना  है , अपने  काम  को  दुनिया  का  सबसे  बेकार  काम  कहते  सुना  है , ऐसा  करना  आपकी  life को  और  भी  difficult बनता  है . खुश  रहने  वाले  अपने  काम  की  बुराई  नहीं  करते  , वो  उसके   सकारात्मक  पहलुओं  पर  focus करते  हैं  और  उसे  enjoy करते  हैं .
मगर  , यहाँ  मैं  यह  ज़रूर  कहना  चाहूँगा  कि   यदि  हम  दुनिया  के  सबसे  खुशहाल  लोगों को देखें  तो  वो  वही लोग  होंगे  जो  अपने  मन  का  काम  करते  हैं , इसलिए  यदि  आप  जो  कर  रहे  हैं  उसे   enjoy करना  , उससे   सीखना  अच्छी  बात  है   पर  Steve Jobs  की कही बात भी याद रखिये: ”आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम  समझते हों…और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.”
Habit 5: खुश  रहने  वाले  हर  उस  बात  पर  यकीन  नहीं  करते  जो  उनके  दिमाग  में  आती  हैं :
Scientists के अनुसार  हमारा  brain हर  रोज़  60,000 thoughts produce करता  है  , और  एक  आम  आदमी  के  case में  इनमे  से  अधिकतर  thoughts negative होती  हैं . अगर  आप  daily अपने  brain को  हज़ारों  negative thoughts से  feed करेंगे  तो  खुश  रहना  तो  मुश्किल  होगा  ही . इसलिए  खुश  रहने  वाले  व्यक्ति   दिमाग  में  आ  रहे     बुरे  विचारों  को  अधिक  देर  तक  पनपने  नहीं  देते . वो  benefit of doubt देना   जानते  हैं , वो  जानते  हैं  कि  हो  सकता  है  जो  वो  सोच  रहे  हैं  वो  गलत  हो  , जिसे  वो  बुरा  समझ  रहे  हैं  वो  अच्छा  हो . ऐसा  कर  के  इंसान  relax हो  जाता  है , दरअसल  हमारी  सोच  के  हिसाब  से  brain में  ऐसे  chemical release होते  हैं  जो  हमारे  मूड  को  खुश  या  दुखी  करते  हैं .
जब  आप  नकारात्मक  विचारों  को  सच  मान  लेते  हैं  तो  आप  का  blood pressure बढ़ने  लगता  है  और  आप  tensionize हो  जाते  हैं , वहीँ  दूसरी  तरफ  जब  आप  उस  पर  doubt कर  देते  हैं  तो  आप  अनजाने  में  ही  brain को  relaxed रहने  का  signal दे  देते  हैं .
Habit 6: खुश  रहने  वाले  व्यक्ति  अपने  जीवन  या  काम  को  किसी  बड़े  उद्देश्य  से जोड़ कर देखते हैं :
एक  बार  एक  बूढी  औरत  कहीं  से आ  रही  थी  कि  तभी  उसने  तीन  मजदूरों  को  कोई  ईमारत बनाते  देखा  . उसने  पहले  मजदूर  से  पूछा  ,” तुम  क्या  कर  रहे  हो  ?”, “ देखती  नहीं  मैं  ईंटे  ढो   रहा  हूँ .” उसने  जवाब  दिया .
फिर  वो  दुसरे  मजदूर  के  पास  गयी  और उससे  भी  वही  प्रश्न किया ,” तुम  क्या  कर  रहे  हो ?” ,” मैं  अपने  परिवार  का  पेट  पालने  के  लिए  मेहनत – मजदूरी  कर  रहा  हूँ ?’ उत्तर  आया  .
फिर वह  तीसरे  मजदूर  के  पास  गयी  और  पुनः  वही  प्रश्न   किया ,” तुम  क्या  कर  रहे  हो ?,
उस  व्यक्ति  ने  उत्साह  के  साथ  उत्तर  दिया , “ मैं  इस  शहर  का  सबसे  भव्य   मंदिर  बना  रहा  हूँ ”
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन  सबसे अधिक खुश होगा!
दोस्तों, इस  मजदूर  की  तरह  ही  खुश  रहने  वाले  व्यक्ति  अपने  काम   को  किसी  बड़े  उद्देश्य   से  जोड़   कर  देखते  हैं , और   ऐसा  करना  वाकई  उन्हें  आपार  ख़ुशी  देता  है . ऐसा  मैं  इसलिए  भी  कह  पा  रहा  हूँ  क्योंकि  मैं  Buntychandrasen.blogspot.Com को  भी  कुछ  इसी  तरह  देखता  हूँ .  मैं  ये  सोचता  हूँ  कि  इस  site के  जरिये  मैं  लाखों -करोड़ों  लोगों  की  ज़िन्दगी  को  बेहतर  बना  सकता  हूँ . मैं  हमेशा  यही  प्रयास  करता  हूँ  कि  कैसे  अच्छी  से  अच्छी  बातें  share करूँ  कि  पढने  वालों  की  life में  positive changes आएं , और  शायद  यही  वज़ह  है  कि  मैं  इस  काम   से  कभी  थकता  नहीं  हूँ  और  इसे  कर  के  सचमुच  बहुत  खुश  और  संतुष्ट  होता  हूँ .
Habit 7: खुश  रहने  वाले व्यक्ति अपनी  life में  होने  वाली  चीजों  के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं :
खुश  रहने वाले व्यक्ति  responsibility लेना  जानते  हैं . अगर  उनके  साथ  कुछ  बुरा  होता  है  तो  वो  इसका  blame दूसरों  पर  नहीं  लगाते , बल्कि  खुद  को  इसके  लिए  जिम्मेदार  मानते  हैं .For example:अगर  वो  office के  लिए  late होते  हैं  तो  traffic jam को  नहीं  कोसते  बल्कि  ये  सोचते  हैं  कि  थोडा  पहले  निकलना  चाहिए  था .
अपनी  success का  credit दूसरों  को  भले  दे  दें  लेकिन  अपनी  failure के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानें  . जब  आप  अपने  साथ  होने  वाली  बुरी  चीजों  के  लिए  दूसरों  को  दोष  देते  हैं  तो  आपके  अन्दर  क्रोध  आता  है , पर  जब  आप  खुद  को  जिम्मेदार  मान  लेते  हैं  तो  आप  थोडा  disappoint होते  हैं  और  फिर चीजों  को  सही करने के प्रयास में जुट जाते हैं . मैं  खुद   भी  अपनी  life में  होने  वाली  हर  एक  अच्छी  – बुरी  चीज  के  लिए  खुद  को  जिम्मेदार  मानता  हूँ . ऐसा  करने  से  मेरी  energy दूसरों  में  fault खोजने  की  जगह  खुद  को  improve करने  में  लगती  है , और  ultimately मेरी  happiness को  बढाती  है .
Friends, हो  सकता  है  आप  इनमे  से  कुछ बातों  को  already follow करते  हों  partially या  शायद  पूरी  तरह  से . पर  यदि  किसी  भी  Habit में  खुद  को  थोडा  सा   भी  improve करेंगे  तो  वो  definitely आपकी  happiness को  बढ़ाएगा . Personally मुझे  Habit 2 में  माफ़  करने  वाले  part को  improve करना  है .  तो  चलिए  हम  सब  साथ -साथ  अपने  Happiness Quotient को  बढ़ाते  हैं  और  एक  खुशहाल  जीवन  जीने  का  प्रयास  करते  हैं .
All the best! :)
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Bunty chandrasen Kawardha

नशा छोड़ें, घर जोड़ें

नशा = नाश नशा छोड़ें, घर जोड़ें
नशा ऐसी बीमारी है जो हमें,हमारे समाज को ,हमारे देश को तेजी से निगलते जा रही है आज शहर और गावों में पढ़ने खेलने की उम्र में स्कूल और कॉलेज के बच्चे एवं युवा वर्ग मादक पदार्थों के बाहुपाश में जकड़ते जा रहे हैं l
इस बुराई के कुछ हद तक जिम्मेदार हम लोग भी हैं हम अपने काम धंधों में इतना उलझ गए हैं कि हमें फुर्सत ही नहीं है ये जानने की कि हमारा बच्चा कहाँ जा रहा है, क्या कर रहा है कोई परवाह नहीं,बस बच्चों की मांगे पूरी करना ही अपनी जिम्मेदारी समझ बैठे हैं l
क्यों करते हैं लोग नशा -
कभी शौक के नाम पर तो कभी दोस्ती की आड़ में,कभी दुनियाँ के दुखों का बहाना करके तो कभी कोई मज़बूरी बताकर ,कभी टेंशन तो कभी बोरियत दूर करनेके लिए लोग शराब ,सिगरेट,तम्बाकू आदि अनेक प्रकार के मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं लेकिन नशा कब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है उन्हें पता ही नहीं चलता, जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है l
नशे से नुकसान:
हिंसा,बलात्कार,चोरी,आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है l शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादी शुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात हैl मुँह ,गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर,अल्सर,यकृत रोग,अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है l
उपचार -नशा छोड़ने के लिए निम्न उपाय करें :
  • डायरी बनायें – नशा कब और कितनी मात्रा में लेते हैं लिखें l
  • विचार करें -आपके लिए आपका परिवार,बच्चे ,कैरियर और स्वास्थय कितनी अहमियत रखता है ,आपके नशा करने से इन चीजों पर कितना असर हो रहा है l
  • नशा छोड़ने से आपको क्या फायदे और क्या नुकसान होंगे एवं यदि आप नशा जारी रखते हैं तो आपके भविस्य पर क्या असर होगा ,गम्भीरता से विचार करें l 
  • पॉजिटिव रहें ,अपने आपको खेल कूद ,किताबें पड़ना,फ़िल्म देखना एवं गाने सुनना जैसी गतिविधियों में व्यस्त रखें ,अकेले ना रहें l
यदि इतने उपाय करने के बाद भी नशा छोड़ने में सफल न हों तो विशेषज्ञ एवं नशा मुक्ति केंद्र से राय लेना बेहतर होगा l


Mr. Bunty Chandrasen(Male Health Worker)
CHC- Pipariya... Contact- 9770119294

सर दर्द ,रुसी और बदहजमी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय 

सर दर्द से राहत के लिए 

१. तेज़ पत्ती की काली चाय में निम्बू का रस निचोड़ कर पीने से सर दर्द में अत्यधिक लाभ होता है.
२ .नारियल पानी में या चावल धुले पानी में सौंठ पावडर का लेप बनाकर उसे सर पर लेप करने भी सर दर्द में आराम पहुंचेगा.
३. सफ़ेद चन्दन पावडर को चावल धुले पानी में घिसकर उसका लेप लगाने से भी फायेदा होगा.
४. सफ़ेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है.
५. लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है.
६. लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर २ , ३ बार लगाने से भी दर्द में राहत देगा.
७. चावल धुले पानी में जायेफल घिसकर उसका लेप लगाने से भी सर दर्द में आराम देगा.
८. हरा धनिया कुचलकर उसका लेप लगाने से भी बहुत आराम मिलेगा.
९ .सफ़ेद  सूती कपडे को सिरके में भिगोकर माथे पर रखने से भी दर्द में राहत मिलेगी.

 बालों की रूसी दूर करने के लिए

१. नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सर की मालिश करें.
२. पानी में भीगी मूंग को पीसकर नहाते समय शेम्पू की जगह प्रयोग करें.
३. मूंग पावडर में दही मिक्स करके सर पर एक घंटा लगाकर धो दें.
४ रीठा पानी में मसलकर उससे सर धोएं.
५. मछली, मीट अर्थात nonveg त्यागकर केवल पूर्ण शाकाहारी भोजन का प्रयोग भी आपकी सर की रूसी दूर करने में सहायक होगा.

गैस व् बदहजमी दूर करने के लिए

१. भोजन हमेशा समय पर करें.
२. प्रतिदिन सुबह देसी शहद में निम्बू रस मिलाकर चाट लें.
३. हींग, लहसुन, चद गुप्पा ये तीनो बूटियाँ पीसकर गोली बनाकर छाँव में सुखा लें, व् प्रतिदिन एक गोली खाएं.
४. भोजन के समय सादे पानी के बजाये अजवायन का उबला पानी प्रयोग करें.
५. लहसुन, जीरा १० ग्राम घी में भुनकर भोजन से पहले खाएं.
६. सौंठ पावडर शहद ये गर्म पानी से खाएं.
७. लौंग का उबला पानी रोजाना पियें.
८. जीरा, सौंफ, अजवायन इनको सुखाकर पावडर बना लें,शहद के साथ भोजन से पहले प्रयोग करें.

AIMLTA CONFRENCE



At The AIMLTA Confennce in Kanyakumari on April 2013