शिशु को कौन से टीके लगवाना अनिवार्य है और क्यों ?
दुर्भाग्यवश, बहुत सी गंभीर और संभवतया खतरनाक बीमारियां दुनियाभर में आज भी मौजूद हैं।इनमें से कई बिमारियो के मामलों में बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है। इन बीमारियों के प्रति शिशु को सुरक्षा प्रदान करने के लिए टीके लगवाना ही सबसे बढ़िया उपाय है। यही कारण है कि भारत सरकार भी बचपन में होने वाली कुछ सबसे आम और गंभीर बीमारियों के खिलाफ सभी बच्चों को टीके लगवाने की सलाह देती है।
सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत निम्नांकित बीमारियों के खिलाफ टीके लगाए जाते हैं:
- तपेदिक(टी.बी.)
- डिप्थीरिया
- काली खाँसी (पर्टुसिस)
- पोलियो
- खसरा
- धनुषटंका
- हेपेटाइटिस बी
- हेपेटाइटिस ए
- इन्फ़्लुएन्ज़ा टाइप बी
- जठरांत्र शोथ
आपके शिशु को उपर्यक्त हरेक बीमारी के खिलाफ प्रभावपूर्ण सुरक्षा के लिए एक ही टीके की कई खुराकें लेने की जरुरत हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि बच्चे को टीकाकरण तालिका के अनुसार टीके लगवाए जाएं।
सभी बाल रोग विशेषज्ञ आमतौर पर एक टीकाकरण तालिका देते हैं, जिसमें यह स्पष्ट दिया होता है कि कौन से टीके लगवाना अनिवार्य हैं और उन्हें कब लगवाया जाना चाहिए। सूची में वैकल्पिक टीकों के बारे में भी जानकारी होती है।
नीचे दी गई बीमारियों के लिए टीके लगावाना वैकल्पिक होता है, जैसे कि:- न्यूमोकोकल ( न्यूमोनिया)
- डायरिया (रोटावाइरस)
- छोटी माता/ छोटी चेचक (चिकनपॉक्स)
- मोतीझरा (टाइफाइड)
- पीलिया (हेपेटाइटिस ए)
अगर, सभी बच्चों को को सरकार द्वारा निर्देशित टीकाकरण सूची के अनुसार टीके लगवाए जाएं, तो बचपन में होने वाले बीमारियो के मामले काफी हद तक कम हो जाएंगे। साथ ही पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में भी काफी कमी आ जाएगी। इस तालिका का उद्देश्य इन बीमारियों को पूरी तरह से खत्म करना है। बहुत से अन्य देश यह लक्ष्य पहले ही हासिल कर चुके हैं।
हालांकि, जिन देशों में कई बीमारियां पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं, वहां भी डॉक्टर बच्चों को टीके लगवाना जारी रखने की सलाह देते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर बच्चों को टीके लगवाना बंद कर दिया जाए, तो ये संक्रामक बीमारियां दोबारा से फैल सकती हैं।
कोई भी टीका इतना प्रभावी नहीं होता कि 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान कर सके। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि इन बीमारियों के दोबारा आने और महामारी बनने से रोकने के लिए उच्च स्तर पर जांच करते रहना जरुरी है।
बाजार में नियमित रुप पर नए टीके आते रहते हैं और ये अक्सर उन्हीं पुरानी बीमारियों के लिए ही होते हैं।
आपको एक बीमारी के लिए दो अलग टीकों में से किसी एक का चयन करने या फिर दोनों टीके संयुक्त रूप से लगवाने के लिए कहा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर आपके शिशु को मौखिक पोलियो ड्रॉप्स और इंजेक्शन के जरिये पोलियो का टीका दोनों ही दिए जा सकते हैं। यह सब आपको काफी भ्रमित कर सकता है।
इन नए टीकों की खुराकें पुराने टीकों से अलग हो सकती हैं। साथ ही बच्चे पर इनके संभावित दुष्प्रभावों और इनकी कीमत में भी अंतर हो सकता है। इसके बावजूद, अधिकांश मामलों में इन अलग-अलग टीकों के प्रभाव में कोई अंतर नहीं होता। इसलिए, चाहे आप कोई भी टीका लगवाएं, आपके शिशु को उस बीमारी के प्रति सुरक्षा अवश्य मिलेगी।
विकल्पों के बारे में डॉक्टर से चर्चा करें और उसके बाद अपने परिवार की जरुरतों और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लें।
टिप:- सरकारी संस्थानों में वैकल्पिक टीको को छोड़कर सभी ठीके निःशुल्क लगाये जाते है। ज्यादा जानकारी के लिए नजदीकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या स्वास्थ्य कर्मचारी से संपर्क करे।