Thursday, 11 May 2017

शिशु को कौन से टीके लगवाना अनिवार्य है और क्यों ?

शिशु को कौन से टीके लगवाना अनिवार्य है और क्यों ?
दुर्भाग्यवश, बहुत सी गंभीर और संभवतया खतरनाक बीमारियां दुनियाभर में आज भी मौजूद हैं।

इनमें से कई बिमारियो के मामलों में बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है। इन बीमारियों के प्रति शिशु को सुरक्षा प्रदान करने के लिए टीके लगवाना ही सबसे बढ़िया उपाय है। यही कारण है कि भारत सरकार भी बचपन में होने वाली कुछ सबसे आम और गंभीर बीमारियों के खिलाफ सभी बच्चों को टीके लगवाने की सलाह देती है।

सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत निम्नांकित बीमारियों के खिलाफ टीके लगाए जाते हैं:
  • तपेदिक(टी.बी.)
  • डिप्थीरिया
  • काली खाँसी (पर्टुसिस)
  • पोलियो
  • खसरा
  • धनुषटंका
  • हेपेटाइटिस बी
  • हेपेटाइटिस ए
  • इन्फ़्लुएन्ज़ा टाइप बी
  • जठरांत्र शोथ

आपके शिशु को उपर्यक्त हरेक बीमारी के खिलाफ प्रभावपूर्ण सुरक्षा के लिए एक ही टीके की कई खुराकें लेने की जरुरत हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि बच्चे को टीकाकरण तालिका के अनुसार टीके लगवाए जाएं।

सभी बाल रोग विशेषज्ञ आमतौर पर एक टीकाकरण तालिका देते हैं, जिसमें यह स्पष्ट दिया होता है कि कौन से टीके लगवाना अनिवार्य हैं और उन्हें कब लगवाया जाना चाहिए। सूची में वैकल्पिक टीकों के बारे में भी जानकारी होती है।
नीचे दी गई बीमारियों के लिए टीके लगावाना वैकल्पिक होता है, जैसे कि:
  • न्यूमोकोकल ( न्यूमोनिया)
  • डायरिया (रोटावाइरस)
  • छोटी माता/ छोटी चेचक (चिकनपॉक्स)
  • मोतीझरा (टाइफाइड)
  • पीलिया (हेपेटाइटिस ए)

अगर, सभी बच्चों को को सरकार द्वारा निर्देशित टीकाकरण सूची के अनुसार टीके लगवाए जाएं, तो बचपन में होने वाले बीमारियो  के मामले काफी हद तक कम हो जाएंगे। साथ ही पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में भी काफी कमी आ जाएगी। इस तालिका का उद्देश्य इन बीमारियों को पूरी तरह से खत्म करना है। बहुत से अन्य देश यह लक्ष्य पहले ही हासिल कर चुके हैं।

हालांकि, जिन देशों में कई बीमारियां पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं, वहां भी डॉक्टर बच्चों को टीके लगवाना जारी रखने की सलाह देते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर बच्चों को टीके लगवाना बंद कर दिया जाए, तो ये संक्रामक बीमारियां दोबारा से फैल सकती हैं।

कोई भी टीका इतना प्रभावी नहीं होता कि 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान कर सके। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि इन बीमारियों के दोबारा आने और महामारी बनने से रोकने के लिए उच्च स्तर पर जांच करते रहना जरुरी है।

बाजार में नियमित रुप पर नए टीके आते रहते हैं और ये अक्सर उन्हीं पुरानी बीमारियों के लिए ही होते हैं।

आपको एक बीमारी के लिए दो अलग टीकों में से किसी एक का चयन करने या फिर दोनों टीके संयुक्त रूप से लगवाने के लिए कहा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर आपके शिशु को मौखिक पोलियो ड्रॉप्स और इंजेक्शन के जरिये पोलियो का टीका दोनों ही दिए जा सकते हैं। यह सब आपको काफी भ्रमित कर सकता है।

इन नए टीकों की खुराकें पुराने टीकों से अलग हो सकती हैं। साथ ही बच्चे पर इनके संभावित दुष्प्रभावों और इनकी कीमत में भी अंतर हो सकता है। इसके बावजूद, अधिकांश मामलों में इन अलग-अलग टीकों के प्रभाव में कोई अंतर नहीं होता। इसलिए, चाहे आप कोई भी टीका लगवाएं, आपके शिशु को उस बीमारी के प्रति सुरक्षा अवश्य मिलेगी।

विकल्पों के बारे में डॉक्टर से चर्चा करें और उसके बाद अपने परिवार की जरुरतों और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लें।
टिप:- सरकारी संस्थानों में वैकल्पिक टीको को छोड़कर सभी ठीके निःशुल्क लगाये जाते है। ज्यादा जानकारी के लिए नजदीकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या स्वास्थ्य कर्मचारी से संपर्क करे।

Tuesday, 9 May 2017

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के बारे में।

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित नवीं तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है।
  • इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता यह हैं, कि प्रसव पूर्व जांच सेवाएं ओबीजीवाई विशेषज्ञों/चिकित्सा अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी।
  • निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों/चिकित्सकों को हर महीने की नवीं तारीख को उनके जिलों में सरकारी चिकित्सकों के प्रयासों के साथ स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा हैं।
  • माननीय प्रधानमंत्री जी ने मन की बात की हाल की कड़ी में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के लक्ष्य और शुरूआत के उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा निजी क्षेत्र के स्त्री रोग विशेषज्ञों/चिकित्सकों से उनकी स्वैच्छिक सेवाएं देने की अपील की।
  • इस कार्यक्रम की शुरुआत इस आधार पर की गयी है, कि यदि भारत में हर एक गर्भवती महिला का चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण एवं पीएमएसएमए के दौरान उचित तरीकें से कम से कम एक बार जांच की जाएँ तथा इस अभियान का उचित पालन किया जाएँ, तो यह अभियान हमारे देश में होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभा सकता हैं।

पीएमएसएमए के उद्देश्य

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, प्रजनन मातृ नवजात शिशु एवं किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच + A) रणनीति के तहत निदान तथा परामर्श सेवाओं सहित गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल की कवरेज़ (एएनसी) के लिये परिकल्पना की गयी है।
इस कार्यक्रम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
  • चिकित्सकों/विशेषज्ञों द्वारा दूसरी या तीसरी तिमाही की सभी गर्भवती महिलाओं को कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करना हैं।
  • प्रसव पूर्व जाँच के दौरान देखभाल की गुणवत्ता सुधारना, जिसमें निम्नलिखित सेवाएं शामिल हैं:
    • सभी उपयुक्त नैदानिक ​​सेवाएं।
    • उपयुक्त नैदानिक स्थितियों के लिए स्क्रीनिंग।
    • कोई भी नैदानिक स्थितियां जैसे कि रक्ताल्पता, गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप, गर्भावधि मधुमेह आदि का उचित प्रबंधन।
    • उचित परामर्श सेवाएं एवं सेवाओं का उचित प्रलेखन रखना।
    • उन गर्भवती महिलाओं को, जो किसी भी कारण से अपनी प्रसव पूर्व जाँच नहीं करा पायी, उन्हें अतिरिक्त अवसर प्रदान करना।
    • प्रसूति/चिकित्सा के इतिहास और मौजूदा नैदानिक स्थिति के आधार पर उच्च ज़ोखिम गर्भधारण की पहचान और लाइन-सूची करना।
    • हर गर्भवती महिला को विशेषत रूप से जिनकी पहचान किसी भी ज़ोखिम कारक या सहरुग्णता स्थिति में की गयी हैं, उनके लिए उचित जन्म योजना और जटिलता की तैयारी करना।
    • कुपोषण से पीड़ित महिलाओं में रोग का जल्दी पता लगाने, पर्याप्त और उचित प्रबंधन पर विशेष ज़ोर देना। किशोर और जल्दी गर्भधारण पर विशेष ध्यान देना, क्योंकि इन गर्भधारणों में अतिरिक्त एवं विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है।

पीएमएसएमए की मुख्य विशेषताएं।

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।
  • इस अभियान के तहत लाभार्थियों को हर महीने की नवीं तारीख़ को प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं (जांच और दवाओं सहित) का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा। यदि किसी माह में नवीं तारीख को रविवार या राजकीय अवकाश होने की स्थिति में अगले कार्यदिवस पर यह दिवस आयोजित किया जाएगा।
  • इन सेवाओं को स्वास्थ्य सुविधा/आउटरीच पर नियमित एएनसी के अतिरिक्त प्रदान किया जाएगा।
  • इन सेवाओं को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निर्धारित सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी/सीएचसी,डीएच/शहरी स्वास्थ्य केंद्रों आदि) पर उपलब्ध कराया जाएगा।
  • जब कि इसका लक्ष्य सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचना है, पर विशेष रूप से यह प्रयास होगा कि वे महिलाएं जिन्होंने एएनसी के लिए रजिस्टर नहीं किया है, तथा जिन्होंने रजिस्टर किया है, लेकिन एएनसी सेवाओं का लाभ नहीं उठाया है, एवं उच्च ज़ोखिम गर्भवती महिलाओं तक पहुंचें।
  • आवश्यक रूप से, ये सेवाएं ओबीजीवाई विशेषज्ञों/चिकित्सकों द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी।
  • निजी क्षेत्र के ओबीजीवाई विशेषज्ञों/चिकित्सकों को, जहां सरकारी क्षेत्र के चिकित्सक उपलब्ध या पर्याप्त नहीं हैं, वहां सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • एकल खिड़की प्रणाली के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए, यह सुनिश्चित किया गया है, कि पीएमएसएमए क्लीनिक में आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को जांच का न्यूनतम पैकेज (गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड सहित) तथा दवाएं जैसे कि आइएफए सप्लीमेंट, कैल्शियम सप्लीमेंट आदि प्रदान की जाएगी।
  • गर्भवती महिलाओं को मातृ एवं बाल संरक्षण कार्ड तथा सुरक्षित मातृत्व पुस्तिकाएं दी जाएगी।
  • उच्च ज़ोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान एवं फॉलो-अप करना अभियान के महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। स्टीकर, जो कि गर्भवती महिला की स्थिति एवं ज़ोखिम के कारक को दर्शाएगा, इस स्टीकर को एमसीपी कार्ड पर हर जाँच के दौरान जोड़ा जाएगा।
    • हरा स्टीकर- सामान्य गर्भावस्था वाली महिला होने पर।
    • लाल स्टीकर- उच्च ज़ोखिम वाली महिला होने पर।
  • निज़ी/स्वैच्छिक क्षेत्रों को शामिल करने के लिए पीएमएसएमए एवं मोबाइल एप्लीकेशन को राष्ट्रीय पोर्टल पर विकसित किया गया है।
  • भारत के राज्यों एवं जिलों में पीएमएसएमए के लिए ‘मैं शपथ लेता हूँ’ के तहत व्यक्तिगत व समूह उपलब्धियों तथा स्वैच्छिक योगदान को सम्मानित करने के लिए सफ़ल पुरस्कार योजना तैयार की गयी है
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के बारे में अधिक जानकारी जानने के लिए कृपया विस्तृत संचालन रूपरेखा देखें।